रमणिका गुप्ता का ‘सीता’ उपन्यास : आदिवासी नारी का संघर्ष | ‘Seeta’ Upnayas By : Ramanika Gupta
जंगल में जन्म और जंगल में ही अपना सम्पूर्ण जीवन बिता देने वाले और जो आदिकाल से जंगल में ही रहते हों ,जंगल से प्राप्त वस्तुओं पर ही जिनका जीवन…
जंगल में जन्म और जंगल में ही अपना सम्पूर्ण जीवन बिता देने वाले और जो आदिकाल से जंगल में ही रहते हों ,जंगल से प्राप्त वस्तुओं पर ही जिनका जीवन…
मृदुला गर्ग समकालीन महिला लेखिकाओं में एक विशिष्ट स्थान रखती हैं | बहुचर्चित औपन्यासिक रचनाओं के अतिरिक्त हिंदी कहानी के क्षेत्र में भी शसक्त रचनाएँ देकर उन्होंने हिंदी साहित्य जगत…
हमारे पूरे समाज का ताना बाना स्त्री और पुरुष इन्हीं दोनों के इर्द-गिर्द घूमता रहता है मानों इन्हीं से ही सम्पूर्ण समाज का अस्तित्व हो | परन्तु इन पूर्ण पुरुष…
हिंदी के युवा साहित्यकारों में मनीषा कुलश्रेष्ठ एक कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में विशेष स्थान रखती हैं। मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानियां अपने विषय वैविध्य के कारण विशेष रूप से…
व्यंग्य की उत्पत्ति ही सामाजिक विसंगतियों, विद्रूपताओं, पाखंडों तथा विरोधाभासों से उपजने वाले असंतोष से होती है | इसके माध्यम से एक रचनाकार अपने अनुभवों तथा अपने आस-पास के परिवेश की विसंगतियों को अप्रत्यक्ष…
हिंदी साहित्य में दलित विमर्श, स्त्री विमर्श , आदिवासी विमर्शों की ही भांति किन्नर विमर्श आज किन्नरों के जीवन की हकीकतों को परत-दर परत खोलता चला जा रहा है |…
हमारा भारतीय समाज सदियों से ही अपनी अनेक सामाजिक विसंगतियों का दंश झेलता चला आ रहा है | फिर चाहे स्त्री की स्थिति हो या जाति व धर्म आधारित वर्ग भेद | इस वर्ग…
तेजेंद्र शर्मा का नाम हिंदी के प्रवासी भारतीय साहित्यकारों में विशेष उल्लेखनीय है | २१ अक्टूबर १९५२ में पंजाब के जगरांव में जन्मे तेजेंद्र जी ने अपनी कविताओं, नाटकों और…
प्रवासी भारतीय साहित्य ने विगत कुछ वर्षों में हिंदी साहित्य संसार को बहुत ही समृद्ध किया है | हिंदी साहित्य में अन्य विमर्शों की भांति प्रवासी साहित्य भी अपनी विशेष पहचान के…
प्रवासी भारतीय साहित्यकारों में अनेक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देकर हिंदी साहित्य संसार के भंडार को समृद्ध किया है | उषा राजे सक्सेना, दिव्या…