अमरकान्त का जन्म 1 जुलाई, सन् 1925 में उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में नगरा नामक गाँव में हुआ था | अमरकान्त जी का मूल नाम श्रीराम वर्मा था | एक संत द्वारा उन्हें अमरनाथ नाम दिया गया था | चूँकि साहित्य में श्रीराम नाम के एक लेखक और साहित्यकार और भी थे, अतः उन्होंने अपना लेखकीय नाम अमरकान्त रख लिया था | फिर भी वे श्रीराम वर्मा नाम से ही प्रसिद्द रहे | अमरकान्त जी ने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं में अपनी रचनाएँ दी उसके बावजूद वे एक कथाकार या एक कहानीकार के रूप में विशेष रूप से प्रसिद्ध हुए | हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी लेखकों में अमरकान्त का नाम लिया जाता है | यशपाल जी ने उन्हें हिंदी साहित्य के ‘मैक्सिम गोर्गी’ नाम से संबोधित किया |
लेखक का नाम | अमरकान्त |
लेखक का मूल नाम | श्रीराम वर्मा , अमरनाथ |
जन्म तिथि | 1 जुलाई 1925 |
मृत्यु | 17 फरवरी 2014 |
पिता का नाम | सीताराम वर्मा |
माता का नाम | अनंती देवी |
पत्नी का नाम | गिरिजा देवी |
पुत्र का नाम | अरुणवर्धन और अरविन्द |
पुत्री का नाम | संध्या |
अमरकान्त का पारिवारिक जीवन
अमरकान्त जी के पिता श्री सीताराम वर्मा पेशे से एक वकील थे | वे उर्दू और फारसी के अच्छे विद्वान थे | उन्हें हिन्दी भाषा का भी थोड़ा-बहुत ज्ञान था | उनके जीवन बेहद शानो-शौकत भरा था | उन्हें कसरत और कुश्ती से भी काफी लगाव था सो घर पर ही पहलवानी में दक्षता हासिल की | श्री सीताराम वर्मा जी को गायकी और संगीत का भी बेहद शौक था | बिना संगीत की दीक्षा के वे अच्छा खासा संगीत का ज्ञान और मराठ रखते थे | जब वे मंदिर में भजन का गान करते तो पूरा माहौल मधुरमय बन जाता था | उनके पिता को अभिनय में भी विशेष रुचि थी सो वर्ष में एक बार वे ऐतिहासिक नाटकों में नायक की भूमिका अवश्य निभाते थे | अमरकान्त को किस्सागोई, नाटकीयता आदि उनके पिता से ही मिली |
अमरकान्त जी की माता का नाम श्रीमती अनंती देवी था | वे एक सीधी-सादी घरेलु किस्म की महिला थीं | उनकी माता का देहावसान उनके बचपन में ही हो गया था | अतः बालक अमरकान्त का बचपन माँ के स्नेह से वंचित रहा | वे अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे | उनका विवाह वर्ष 1946 में हुआ था | उनकी पत्नी का नाम श्रीमती गिरिजा देवी था | अमरकान्त की कुल तीन संताने थीं, दो पुत्र और एक पुत्री | उनके पुत्रों का नाम क्रमशः अरुणवर्धन और अरविन्द बिंदु तथा पुत्री का नाम संध्या था |
शिक्षा और लेखन
श्रीराम वर्मा अर्थात अमरकान्त की प्रारंभिक शिक्षा नगरा के ही प्राथमिक विद्यालय से आरम्भ हुयी | बलिया आने के उपरांत उनकी शिक्षा तहशीली मिडिल स्कूल में आरम्भ हुयी | तदोपरांत उन्होंने गवर्नमेंट हाईस्कूल में प्रवेश लिया | सहपाठी चन्द्रिका नामक सहपाठी द्वारा कहानियां लिखे जाने की बात ने उनमे भी लेखन करने की कुलबुलाहट पैदा की | यह सामान्य बाल-मनोविज्ञान की मैं अपने सहपाठी से अच्छी कहानी लिख सकता हूँ, उनके अन्दर के लेखक को जन्म दिया | उनके हिंदी के आध्यापक बाबू गणेश से उन्हें साहित्य की बहुत सी जानकारियां, प्रेरणा और लेखन के तरीकों सम्बन्धी सुझाव प्राप्त हुए |
स्वाधीनता के दौर में बलिया के आस-पास के जिलों में चलने वाले स्वामी सहजानंद किसान आन्दोलन का भी उन पर काफी प्रभाव पड़ा | नवीं-दसवीं तक आते-आते अन्य कई विद्यार्थियों के संपर्क में आने से उन्हें यशपाल आदि की रचनाएँ पढने का मौका मिला | हाईस्कूल में चाँद पत्रिका का फांसी अंक पढ़ा जिससे वे काफी प्रभावित हुए | उसके उपरांत वे स्वाधीनता आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने लगे | हाईस्कूल पास करने के उपरांत उन्होंने रुसी पुस्तकों और राहुल संकृत्यायन की पुस्तकों का भी अध्ययन किया जिसने उनमें समाज के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में अहं भूमिका निभाई | इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए उन्होंने पहले गोरखपुर के सेंट एंड्रूज कॉलेज और बाद में इलाहबाद के यूइंग क्रिस्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया किन्तु आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी होने के नाते पढाई बीच में ही छूट गयी | बाद में उन्होंने बलिया के सतीशचन्द्र कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढाई पूरी की | फिर 1948 में प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की |
अमरकान्त जी ने बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत पत्रकार बनने का निश्य किया और वे आगरा अपने चाचा जी के पास चले आये | यही से उनके लेखकीय जीवन का आरम्भ हुआ | उन्होंने पहले सैनिक और फिर अमृत पत्रिका, दैनिक भारत, मनोरमा आदि पत्रिकाओं के संपादन विभाग में कार्य किया |
अमरकान्त की रचनाएँ
उपन्यास
क्रम | उपन्यास के नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | सूखा पत्ता | 1959 |
2 | सुखजीवी | 1960 |
3 | ग्राम सेविका | 1962 |
4 | कंटीली राह के फूल | 1963 |
5 | आकाश पक्षी | 1965 |
6 | काले उजले दिन | 1966 |
7 | बीच की दीवार | 1969 |
8 | सुन्नर पाण्डे की पतोह | 1993 |
9 | इन्हीं हथियारों से | 2002 |
10 | लहरें (लघु उपन्यास) | 2005 |
कहानी संग्रह
क्रम | कहानी संग्रह के नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | जिंदगी और जोंक | 1958 |
2 | देश के लोग | 1964 |
3 | मौत का नगर | 1971 |
4 | मित्र मिलन तथा अन्य कहानियाँ | 1979 |
5 | कुहासा | 1983 |
6 | तूफ़ान | 1989 |
7 | कला प्रेमी | 1991 |
8 | एक धनि व्यक्ति का बयान | 1997 |
9 | सुख और दुःख का साथ | |
10 | सम्पूर्ण कहानियां (दो खण्डों में ) | 1998 |
11 | जाँच और बच्चे | 2004 |
काल तथा अन्य रचनाएँ
क्रम | रचना के नाम | प्रकाशन वर्ष |
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1 | वानर सेना | 1996 |
2 | नेउर भाई | 1996 |
3 | सुग्गी चाची का गाँव | 1996 |
4 | खूंटा में दाल है | 1997 |
5 | एक स्त्री का सफ़र | 1997 |
6 | झगरू लाल का फैसला | 1997 |
अन्य रचनाएँ
प्रौढ़ एवं बाल साहित्य
- मूंगरी
- दोस्ती
- दो हिम्मती बच्चे
- बाबू का सपना
संस्मरण
- कुछ यादें कुछ बातें
प्रतिनिधि संस्मरण
- लेखक की दोस्ती
- महादेवी वर्मा : वहआखरी मुलाकात
- जनता के कवि नागार्जुन
- इलाहबाद में रेणु
- रवीन्द्र : हँसना ही जीवन है
- मोहन राकेश : श्रेष्ठ रचनाकार और जोरदार ठहाके
- कमलेश्वर : समांतर आन्दोलन के वे दीन
अमरकान्त की उपलब्धियाँ और पुरस्कार
- ‘इन्हीं हथियारों से’ नामक उपन्यास के लिए अमरकान्त जी को वर्ष 2007 में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया |
- अमरकान्त जी को ‘व्यास सम्मान’ से वर्ष 2009 में सम्मानित किया गया |
- वर्ष 2009 में उन्हें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया |
- उन्हें मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, मध्य प्रदेश का ‘अमरकांत कीर्ति सम्मान, यशपाल पुरस्कार, सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार तथा जन-संस्कृति सम्मान से भी सम्मानित किया गया |