मेरा प्रेम ….. अमावश की कालिमा के पीछे है छुपा
मेरा प्रेम …..अमावश की कालिमा के पीछे है छुपा ,होगा नहीं उदित सूर्य प्रकाश पुंज के साथ ,और होगा नहीं उजाला नया |इस कालिमा के मध्य ग्रशेगा मुझे राहु,बच ना…
मेरा प्रेम …..अमावश की कालिमा के पीछे है छुपा ,होगा नहीं उदित सूर्य प्रकाश पुंज के साथ ,और होगा नहीं उजाला नया |इस कालिमा के मध्य ग्रशेगा मुझे राहु,बच ना…
आज भी तुझे ढूँढती मेरी निगाहें …….कहाँ जा तुम जा छिपी हो ,लगता है जैसे दिल की बस हर इक कली मुरझा चुकी हो |आंख में आंसू हैं दिल में…
कुछ कहना था उनसे ,पर लफ्जों ने सहारा ना दियागमे भवर में थे जब , कस्ती ने किनारा ना दियाकुछ गर्दिसें यूँ थी जो गर बाँटते उनसे ,उनकी आंशुओं के…