मेरे देश की मिट्टी अहा – मृदुला गर्ग | Mere Desh ki Mitti Aha – Mridula Garg

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मेरे देश की मिट्टी अहा कहानी संग्रह में संग्रहित कहानियाँ अलग-अलग विषयों पर लिखी गई हैं | इस कहानी संग्रह में कुल ग्यारह कहानियाँ संग्रहित हैं |

कहानी संग्रह का नाममेरे देश की मिट्टी अहा (Mere Desh ki Mitti Aha)
लेखक (Author)मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
भाषा (Language)हिन्दी (Hindi)
प्रकाशन वर्ष (Year of Publication)2001

मेरे देश की मिट्टी अहा कहानी संग्रह की कथावस्तु

मेरे देश की मिट्टी अहा

‘मेरे देश की मिट्टी अहा’ कहानी एक ऐसी लडकी की कहानी है जो अपने गाव तथा समाज म सदियों से चली आ रही परम्परा का विद्रोह करती है | लल्ली’ खेड़ी गांव में अपनी दादी के साथ रहती है | उसकी दादी अपना और अपनी पोती का भरण पोषण करने के लिए मिट्टी के खिलौने बेचा करती है | दादी की मृत्यु के पश्चात् लल्ली के एक दूर के रिश्तेदार उसे अपने साथ गुड़गांव ले जाते हैं तथा उसका एक स्कूल में दाखिला करवा देते हैं | जिस वर्ष लल्ली बारहवीं पास करती है, उसी वर्ष उसके ताऊ की ब्याहता बेटी का देहांत हो जाता है | बेटी के बच्चों को सौतेली माँ के सहारे न रहना पड़े, इसलिए वह बेटी की तेरहवीं होने के उपरांत ही लल्ली का विवाह पैंतालीस वर्षीय अपने दामाद से तय कर देते हैं |

लल्ली का भावी पति हवलदार था | गुड़गांव में तबादला होते ही जीजा ससुराल में रहने लगा और लल्ली के सामने मुजरिमों की पिटाई आदि बातें किया करता जिसे सुन लल्ली बेहोश हो जाया करती | इसकी फिक्र किसी को थी | जीजा के खौफ से लल्ली एक मुसलमान लड़के के साथ भागकर विवाह कर नहीं लेती है | पति के साथ अपने ससुराल खेड़ी गांव आती है और पति की पहली बीवी की मृत्यु के बाद सास-ससुर के साथ गांव रहने लगती है |

किस्सा आज का

किस्सा आज का नव धनिक या उच्च मध्यवर्गीय स्त्री के अति सुख साधन की मांग तथा बेलगाम इच्छाओं की कहानी है ‘किस्सा आज का | वकीलन से पूर्व एक सफल वकील हुआ करती थी, किन्तु शादी के बाद नौकरी छोड़ घर की नौकरी में लग जाती है | बिना कुछ काम किए ही थकी-थकी सी रहती है और हर काम में बड़ी मुश्किल है का रटन करती रहती है | वकीलन की मालिश वाली अंगूरी उसकी हर मुस्किल को जानती है | वकीलन को बड़े घर के सजावट की, मेहमानों के आदर आदि की अनेक तकलीफे हैं जिन्हें अंगूरी बखूबी जानती है | वकीलन के लिए पूरे समय की दासी की जरूरत को पूरा करने के लिए अंगूरी रामकली को रख देती है | छह सौ रुपये माहवार, दो समय का खाना, कपड़ा आदि की भी व्यवस्था रामकली के लिए हो जाती है | दिन-रात के काम से रामकली मानव से मशीन बन जाती है और इन सब से तंग आकर एक दिन वह घर से पैसे चुराकर भाग जाती है |

छलावा

‘छलावा’ नामचीन वैद्य और हीरे के शौकीन राजा की कहानी है | राजा हमेशा हीरे एकत्र करने में लीन रहता  | राजा के बीमार पड़ने पर राज वैद्य हीरे की अंगूठी जलाकर उसकी भस्म को दस हिस्सों में बांट देता है और राजा से दूध के साथ सेवन करने के लिए कहता है | अमावश्या की एक रात वैद्य जी के जीवन में बड़ भूचाल आ जाता है | धूप का बगुला वैद्य के दरवाजे पर खड़ा हो अपने बेटे के इलाज के बदले पांच हीरे इनाम के रूप में देता है और अंतर्ध्यान हो जाता है | वैद्यराज के चार हीरे राजा एक-एक करके हथिया लेता है और पांचवा भी हथियाने की फिराक में रहता है | इन हीरों का राज पता चलने पर राजा अपने तमाम सैनिकों व वैद्य के साथ निकल पड़ता है | राजा अपनी जिम्मेदारियों से विमुख रहता है तथा अपने सुख के आगे वह जनता के सुख की परवाह नहीं करता |

कानतोड़ उर्फ कर्णवीर

कानतोड़ उर्फ कर्णवीर वसूलों का पक्का कहानी का मुख्य पात्र एक शातिर चोर है | वह चोरी उसी के घर करता है जिसके घर में पुरुष मौजूद हो | ऐसे में एक रात वह धन्ना सेठ के घर चोरी करने के लिए जाता है किन्तु धन्ना में सेठ की गैरमौजूदगी में चोरी नहीं करता | धन्ना सेठ के घर लौटने पर वह चोरी करने जाता है और अचानक ही चोर का कान धन्ना सेठ के हाथ में आ जाता है और धन्ना सेठ कान तोड़ से कर्णवीर कहलाता है |

सात कोठरी

सात कोठरी कहानी धर्म के नाम पर अंधश्रद्धावश सती हो जाने वाली सात बहनों की कहानी है | दहेज-प्रथा के कारण सातों बहनों का विवाह नहीं हो पाता | उधर गांव में लगातार दो सालों से भयानक सूखा पड़ने से गांव के बुजुर्ग सातो बहनों को ही इस सूखे का जिम्मेवार बताकर कोशने लगते हैं | सातो बहने स्वयं को शिवजी की ब्याहता मानती थी | उन्होंने अमावश्या की रात खाई में कूदने का निर्णय लिया जिससे धरती से पानी का सोता फूटे | छह बहने तो खाई कूद जाती हैं लेकिन सातवीं चरवाहे के बेटे के साथ भाग जाती है | गांव वाले छह बहनों के बलिदान को प्रणाम करते हैं और सातवीं को कुल्टा बताते हैं | इस कहानी में दहेज प्रथा और अन्धश्रद्धा के कारण स्त्रियों की दुर्दशा आदि समस्याओं को उभारा गया है |

नेति-नेति

‘नेति नेति’ कहानी का नायक श्यामल मास्टर एक छोटे से शहर में हिन्दी क्लास लेने जाता है | बस में बैठे एक साथी से उसकी मुलाकात होती है | वह मुसाफिर श्यामल को मन्दिर चलने के लिए कहता है | अंधविश्वास या पाप लगने के डर से श्यामल मंदिर जाने की हामी भरता है | रास्ते में साथी द्वारा भगवान के होने या न होने की बात पूछी जाती है | श्यामल भी इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है | इस कहानी के माध्यम से अंधविश्वास में फंसे लोगों की मनोदशा का वर्णन किया गया है |

जीरो अक्स

एक स्त्री की ललकार पुरुष के अहम् को किस प्रकार चूर-चूर कर देती है तथा इस टूटे हुए अहंकार का बदला पुरुष किस प्रकार लेता है यह ‘जीरो अक्स’ कहानी के कथ्य के माध्यम से सामने आता है | साजन भाई एक लेखक व सम्पादक के रूप में मशहूर हैं | वे मेधा के पूछे गए प्रश्नों से इस तरह क्रोधित होते हैं कि मेधा का गला दबाकर उसे मार डालते हैं | मेधा का गला दबा देने पर भी अहंकारी स्त्री विरोधी साजन भाई को न कोर्ट कचहरी का डर था न समाज का | इस कहानी के द्वारा साजन भाई के अहंकार, प्रदर्शनप्रियता स्त्रियों के प्रति निम्न विचार आदि का पर्दाफाश किया गया है |

मंजूर-नामंजूर

‘मंजूर-नामंजू’ कहानी में दो बहनों के माध्यम से स्त्री – के अकथनीय पीड़ा को व्यक्त किया गया है | मंजूर-नामंजूर दोनों बहनों का जन्म एक ही दिन दो अक्टूबर को होता है | बड़ी बहन का नाम मंजूर और छोटी का नाम नामंजूर है | मंजूर का पति बेहतर नौकरी और पैसे की लालच में बार-बार नौकरी और जगह बदलता है | वही नामंजूर का पति स्थायी नौकरी करता है | एक दिन बाजार से लौटती मंजूर सड़क पार करते हुए अचानक ब्लू-लाईन बस के नीचे आ जाती है और उसकी मौत हो जाती है | नामंजूर को अब अपने बुढ़ापे का डर सताता है | अंततः उसकी भी मृत्यु दो अक्टूबर के दिन ही होती है |

साठ साल की औरत

साठ साल की औरत कहानी में नारी में साठ की उम्र में भी प्रणव भाव की उपस्थिति को दर्शाता है | इस कहानी की नायिका सुरभी घोष के मन में डॉ. चंद के प्रति आकर्षण और प्रेम उत्पन्न होता है | वास्तव में प्रेम की कोई उम्र नहीं होती | वह किसी भी उम्र में हो सकता है | यही इस कहानी में बताया गया है | साठ की होने पर भी औरत की इच्छाएँ और महत्वकाक्षाएँ वही रहती है |

इक्कीसवीं सदी का पेड़  

इक्कीसवीं सदी का पेड़ कहानी के द्वारा बताया गया है कि एक पेड़ किस प्रकार अन्य पेड़ों से अलग होता चला जाता है और धीरे-धीरे उसका अस्तित्व ही खत्म होने की कगार पर आ जाता है | इस कहानी में बताया गया है कि किस प्रकार पेड़ पौधों के काटने से पर्यावरण को हानि हो रही है | पशु-पक्षियों को देश-विदेश की बातें सुनाकर इक्कीसवीं सदी का पेड़ अपना जीवन व्यतीत करता था | किन्तु अब पेड़ों की जरूरत न होने की बात सुनकर वह दुखी होता है | जिस सुबह वह पेड़ अपने प्राण हवा में त्यागने की सोचता है तभी उसे पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ का नारा सुनाई देता है और पेड़ पहली बार खुलकर हँस पड़ता है | वर्तमान समय में मनुष्य भी पेड़ की भांति ही अकेलेपन का शिकार होता चला जा रहा है |

कलि से सत्

कलि से सत् कहानी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जिक्र के साथ-साथ प्रकृति के शोषण का भी चित्रण किया गया है तथा राघव और लक्ष्मण के प्रकृति प्रेम को भी दर्शाया गया है | राघव-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, दशरथ आदि पात्रों, उनके जीवन के उतार चढ़ाव तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार अपने फायदे के लिए जंगलों का कटाव कर बड़े-बड़े कारखाने, मील वगैरह की स्थापना कर रही हैं, आदि को लेकर इस कहानी की रचना हुई है |

मेरे देश की मिट्टी अहा कहानी संग्रह के पात्र और संवाद

मेरे देश की मिट्टी अहा कहानी संग्रह की कहानियाँ कथ्य की दृष्टि से विविधता से परिपूर्ण हैं भिन्न-भिन्न प्रकृति के पात्रों द्वारा उनके मनःस्थिति एवं उनकी समस्याओं का चित्रण किया गया है | मेरे देश की मिट्टी अहा कहानी की लल्ली एक निडर तथा स्वतंत्र विचारों वाली पात्र है | जहाँ किस्सा आज का कहानी की वकीलन एक आलसी नारी है वहीं दूसरी ओर सात कोठरी की बहनें नारी के बलिदानी चरित्र को उद्घाटित करती है | छलावा’ कहानी का राजा एक लोभी, गैर जिम्मेदार व अपने ही सुख में लीन रहने वाला अकर्मण्य नायक है |

‘जीरो अक्स’ का साजन अहंकारी एवं स्त्रियों के प्रति निम्न विचार रखने वाला व्यक्ति है | पात्रों के संवाद उनके जीवन में घटित घटनाओं को उजागर करने में सफल हुए हैं | इन कहानियों में अंधश्रद्धा, उच्च व मध्य वर्ग की स्त्रियों की बेलगाम इच्छाएँ, दहेज प्रथा के कारण स्त्रियों के त्रासद जीवन आदि का चित्रण हुआ है |

मेरे देश की मिट्टी अहा कहानी संग्रह की भाषा एवं शैली

इस कहानी संग्रह में व्यंग्यात्मक, डाट्स आदि अनेक भाषाओं का प्रयोग हुआ है | ‘मंजूर-नामंजूर’ कहानी से डाट्स भाषा का सुन्दर उदाहरण द्रष्टव्य है-

“जी…. मैं…. मंजूर ” वह हकलायी तो उधर वह भी हकला दिया | “मैं मेजर लतीफ आपने चिट्ठी” बमुश्किल उसकी नजरें पेट से हटकर मंजूर के चेहरे तक आयी और उसने जुमला पूरा किया.” लिखी थी…..

मेरे देश की मिट्टी अहा – मृदुला गर्ग

उपर्युक्त उदाहरण में चिट्ठी भेजने, पढ़ने तथा उसे समझने की बात को बिन कहे ही डाट्स भाषा का प्रयोग करते हुए प्रकट किया गया है |


Dr. Anu Pandey

Assistant Professor (Hindi) Phd (Hindi), GSET, MEd., MPhil. 4 Books as Author, 1 as Editor, More than 30 Research papers published.

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