नासिरा शर्मा का संक्षिप्त जीवन परिचय | Nasira Sharma Biography in Hindi

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नासिरा शर्मा आधुनिक महिला साहित्यकारों में एक विशिष्ट स्थान रखती हैं | उनका जन्म 22 अगस्त सन् 1948 में इलाहाबाद के एक समृद्ध सिया मुस्लिम परिवार में हुआ था | चूँकि वे अपने घर में सबसे छोटी थीं, अतः उनका बचपन बड़े ही लाड प्यार में बीता था | उनके पिता उर्दू के प्रोफेसर होने के साथ-साथ एक उच्च कोटि के कवि थे | अतः कहा जा सकता है कि साहित्य प्रेम, पठन तथा लेखन उन्हें विरासत में मिला |

उन्होंने फारसी भाषा और साहित्य से एम.ए. किया | हिंदी तथा उर्दू भाषा के अतिरिक्त अंग्रेजी, पश्तो और फारसी भाषा पर भी नासिरा जी की बहुत ही अच्छी पकड़ है | सर्जनात्मक लेखन के अतिरिक्त पत्रकारिता के क्षेत्र में भी नासिरा जी का उल्लेखनीय योगदान रहा है | वे ईरानी समाज, उनकी राजनीति तथा कला और संस्कृति की विशेषज्ञ मानी जाती हैं | पाकिस्तानी, अफगानी तथा ईरानी राजनीतिज्ञों और बुद्धिजीवियों के साथ उनके साक्षात्कार बहुत ही सराहनीय हैं | नासिरा शर्मा ने तीन वर्षों तक जामिया मिलिया इस्लामिया में अध्यापन का कार्य भी किया |

पारिवारिक जीवन

नासिरा जी का पारिवारिक जीवन बेहद ही सुखद रहा है | उनका पैत्रिक परिवार सुशिक्षित तथा संपन्न था | उनके परिवार में गजलों, शायरी आदि को पढने, लिखने तथा सराहने का सिलसिला रहा है | उनकी माता का नाम नाझनीन बेगम है जो एक गृहिणी हैं | बचपन में ही पिता के देहावसान के उपरांत अपने पांचो बच्चों का लालन-पालन उन्होंने माँ तथा पिता दोनों ही भूमिका में बड़ी ही दक्षता से किया | घर में रूपये-पैसे, नौकर-चाकर इत्यादि की कमी न होने के बावजूद भी एक पिता की कमी अवश्य थी | उनकी माता ने बच्चों की शिक्षा दीक्षा के अतिरिक्त उनमें संस्कारों की बुनियाद रखी |

नासिरा जी कुल पांच भाई बहन हैं | बड़े भाई सैयद मुहम्मद हैदर अंग्रेजी साहित्य में अध्यापन के कार्य से जुड़े हैं तो दूसरे भाई सैयद मजहर हैदर एक प्रतिष्ठित पत्रकार हैं | उनकी बड़ी बहन फात्मा का नाम उर्दू भाषा की जानी मानी लेखिकाओं में शामिल है |

उनका विवाह डॉ. रामचंद्र शर्मा जी से हुआ जो एक बेहद ही जागरूक, इमानदार और साहसी किस्म के व्यक्ति माने जाते हैं | कॉमन वेल्थ स्कालरशिप से सम्मानित शर्मा जी ‘ओशनोग्राफी’ नामक बेहद ही चर्चित पुस्तक के लेखक भी हैं | इलाहाबाद में अध्यापन करने के पश्चात वे जे.एन.यू. के स्कूल ऑफ़ इन्टरनेशनल स्टडीज में प्रोफेसर के पद पर आसीन हुए | यहाँ उनके आध्यापन का विषय ज्योपॉलिटिक्स रहा | नासिरा जी की दो संताने हैं, एक पुत्र और एक पुत्री | पुत्री अंजुम अपने पति श्री बदिउलज्जमा की शिपिंग कंपनी में डायरेक्टर हैं तो पुत्र अनिल शर्मा दुबई में एक डाक्यूमेंट्री फिल्म प्रोडूसर हैं |

पिताजामिन अलीउर्दू के शायर और प्रोफेसर
मातानाझनीन बेगमगृहणी
बड़े भाई सैयद मुहम्मद हैदरअंग्रेजी साहित्य का अध्यापन 
दुसरे भाई सैयद मजहर हैदरपत्रकार
बड़ी बहन फात्माउर्दू की जानी मानी लेखिका
पतिडॉ. रामचंद्र शर्माजे.एन.यू. में प्रोफेसर
पुत्रअनिल शर्माडाक्यूमेंट्री फिल्म प्रोडूसर
पुत्रीअंजुमपति की कंपनी में डायरेक्टर
दामादबदिउलज्जमाशिपिंग कंटेनर लीजिंग कंपनी के मालिक

नासिरा शर्मा का व्यक्तित्व

गौरवर्ण, सुदृढ़ शरीर से युक्त नासिरा शर्मा का बाह्य व्यक्तित्व जितना सुन्दर और आकर्षक है, उनका आतंरिक व्यक्तित्व भी उतना ही प्रभावशाली है | उनके स्वभाव की सहजता, सरलता, उदारता और हसमुख व्यक्तित्व अनायास ही ध्यानाकर्षित करता है | उनकी छवि एक बेहद ही स्पष्टवक्ता की रही है | बचपन से ही बातों को दो टूक में कह डालने की आदत थी जो जीवन पर्यन्त बनी रही | खरी-खरी कहने की उनकी आदत उनकी रचनाओं में भी परिलक्षित होती है |

आतिथ्यशीलता उनके स्वभाव का हिस्सा है | वे मेहमानों का स्वागत खुले दिल से और चेहरे पर मुस्कान लिए हुए करती हैं | वे किसी अन्य भारतीय महिला की ही भांति भारतीय परम्पराओं में दृढ़ आस्था और विश्वाश रखती हैं | वे मानती हैं कि आराधना व्यक्ति में बल और उर्जा का संचार करती हैं |

उनका जीवन धर्मनिरपेक्षता का पर्याय तो है ही | सिया मुस्लिम होते हुए भी उन्होंने हिन्दू परिवार की बहू बनना स्वीकार किया | अपने निजी जीवन में वह इस्लाम को मानती हैं, किन्तु कभी अन्य धर्मों की मान्यताओं को मानने, उनका पालन आदि करने से तनिक भी गुरेज नहीं किया | वे अपने बच्चों के साथ मंदिरों में भी जातीं, पूजा-पाठ आदि में हिस्सा लेतीं | वे दरगाहों, मंदिरों, मठों या अन्य धार्मिक स्थलों पर बेहिचक जातीं | नासिरा जी सर्व धर्म समभाव की हिमायती रही हैं |

नासिरा शर्मा की रचनाएँ (works of Nasira Sharma)

नासिरा शर्मा ने अपने व्यक्तित्व के अनुरूप ही साहित्य को श्रेष्ठतम रचनाएँ प्रदान की हैं | नासिरा जी की पहली कहानी ‘राजा भैया’ तब प्रकाशित हुयी जब वे महज सातवीं कक्षा में थीं | उन्होंने ने लेखनी में आजमायिस अपने जीवन के प्रारंभिक काल, बाल्यावस्था से ही शुरू कर दिया था, परन्तु विधिवत लेखन का आरम्भ हुआ वर्ष 1975 से | इस वर्ष उनकी कहानी ‘बुतखाना’ सारिका के नवलेखन अंक में तथा ‘तकाजा’ कहानी मनोरमा पत्रिका में प्रकाशित हुयी | यहीं से उनके लेखकीय जीवन का आरम्भ हुआ |

नासिरा जी ने हिंदी साहित्य की अनेको विधाओं में अपनी लेखनी चलायी है | उनके कुल आठ उपन्यास और आठ कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं | इसके अतिरिक्त उन्होंने बाल साहित्य, निबंध लेखन, समीक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी लेखनी चलायी | सन् 1985 में ‘मुजफ्फर अली के निर्देशन’ में ‘काली मोहनी’,’आया बसंत सखी, ‘समेल का दरख़्त’ नामक टेली फिल्म की कथा का भी लेखन किया |

नासिरा शर्मा के उपन्यास

क्रमउपन्यासों के नामप्रकाशन वर्ष
1सात नदियाँ एक समंदर1984
2शाल्मली1987
3ठीकरे की मंगनी1989
4जीरो रोड़1993
5जिन्दा मुहावरे1998
6अक्षयवट2003
7कुइयांजान2005
8पारिजात2011
9अजनबी जजीरा 2012
10कागज़ की नाव2014

नासिरा शर्मा की कहानियां

क्रमकहानी संग्रह के नामप्रकाशन वर्ष
1पत्थर गली1986
2संगसार1993
3इब्ने मरियम1994
4शामी कागज1997
5शबीना के चालीस चोर1997
6खुदा की वापसी1999
7इस्सानी नस्ल2000
8दूसरा ताजमहल2002
9जहाँ फव्वारे लहू रोते हैं 2003
10बुतखाना2008

बाल साहित्य

  • संसार अपने-अपने (नाटक)- हिंदी भाषा में
  • अपनी-अपनी दुनिया – उर्दू भाषा में
  • किस्साए गुस्साए मा – फारसी भाषा में
  • मरमेड एंड ब्रोकन जार – अंग्रेजी भाषा में

संपादन और अनुवाद

  • क्षितिज पार
  • ईरानी क्रन्तिकारी विशेषांक – सारिका पत्रिका के लिए
  • ईरानी क्रन्तिकारी विशेषांक – पुनश्च पत्रिका के लिए
  • वर्तमान साहित्य का महिला विशेषांक
  • प्रवासी हिंदी लेखकों का कहानी संग्रह
  • मेरे वारिश

टेली फिल्म

  • महाराष्ट्र के चीकू बागानों में काम करने वाले लोगों पर आधारित – ‘काली मोहनी’ नामक यह टेली फिल्म ‘मुजफ्फर अली’ द्वारा निर्देशित है | (वर्ष 1985)
  • लखनऊ में चिकन का काम करने वाले लोगों पर आधारित – ‘आया बसंत सखी’ नामक यह टेली फिल्म ‘मुजफ्फर अली’ द्वारा निर्देशित है | (वर्ष 1985)
  • कामकाजी महिलाओं पर आधारित – ‘समेल का दरख़्त’ नामक यह टेली फिल्म ‘मुजफ्फर अली’ द्वारा निर्देशित है | (वर्ष 1985)
  • नासिरा शर्मा के नाटक ‘शबीना के चालीस चोर’ को सन 1992 में प्रस्तुत किया गया |
  • वर्ष 1983 में फ्रांसीसी दूरदर्शन के लिए ‘ईरानी युद्ध बस्तियों‘ पर फिल्म बनायीं गयी |
  • वर्ष 1985 में जर्मन दूरदर्शन के लिए ‘इराक-ईरान युद्ध’ पर फिल्म बनायीं गयी |
  • ‘वापसी’, ‘सरजमीन’ और ‘शाल्मली’ नाम से तीन टी.वी. सिरिअल का निर्माण |
  • माँ‘ ,’तड़प‘ तथा ‘बावली‘ नाम से दूरदर्शन के लिए टेली-फिल्मों का निर्माण |

निबंध या लेख

  • औरत के लिए औरत
  • राष्ट्र और मुस्लमान
  • औरत की आवाज़
  • वह एक कुमारबाज थी

नासिरा शर्मा की उपलब्धियाँ (Nasira Sharma Awards / Achievements)

क्रमसम्मानवर्ष
1पत्रकारश्री, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश1980
2अर्पण सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली1987-88
3गजानन्द मुक्तिबोध नेशनल अवार्ड, भोपाल1995
4महादेवी वर्मा पुरस्कार, बिहार राजभाषा1997
5इण्डोरशन एवार्ड्स चिल्डरेड लिटरेचर1999
6कृति सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली2000
7वाग्मणि सम्मान,लेखिका संघ जयपुर2003
8इन्दू शर्मा कथा सम्मान, यू.के2008
9नई धारा रचना सम्मान2009
10मीरा स्मृति सम्मान, इलाहाबाद2009
11बाल साहित्य सम्मान, खतीमा2010
12महात्मा गांधी सम्मान, हिन्दी संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश2011
13स्पन्दन पुरस्कार2013
14राही मासूम रजा सम्मान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश2014
15कथाक्रम सम्मान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश2014
16साहित्य अकादमी पुरस्कार (पारिजात के लिए)2016
17व्यास सम्मान (कागज़ की नाव के लिए)2019

Dr. Anu Pandey

Assistant Professor (Hindi) Phd (Hindi), GSET, MEd., MPhil. 4 Books as Author, 1 as Editor, More than 30 Research papers published.

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