मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 में मध्यप्रदेश के भानपुरा नामक गाँव में एक संयुक्त मारवाड़ी परिवार में हुआ था | मन्नू जी अपने पिता के सभी संतानों में सबसे छोटी थीं | उनका नाम मेहन्द्र कुमारी था | घर परिवार के लोग उन्हें लाड से ‘मन्नू’ कहकर पुकारते थे | यही नाम उन्होंने आजीवन अपनाया | मन्नू भंडारी ने अपनी सृजन प्रतिभा के बूते आधुनिक हिंदी कथाकारों के मध्य एक विशिष्ट पहचान बनायीं है | उनकी रचनाओं में नारियां अपने-अपने तरीके से संघर्ष करती दिखाई पड़ती हैं | उनकी रचनाओं का अन्य भाषाओँ जैसे गुजराती, पंजाबी, मराठी, बंग्ला , कन्नड़, मलयालम और सिंधी में भी अनुवाद हुआ है |
लेखक का नाम | मन्नू भंडारी |
जन्म तिथि | 3 अप्रैल 1931 |
जन्म स्थान | गाँव : भानपुरा, राज्य : मध्यप्रदेश , देश : भारत |
पिता का नाम | सुखसम्पत राय |
माता का नाम | अनूप कुमारी |
पति का नाम | राजेन्द्र यादव |
पुत्री का नाम | रचना |
बहनें | शुशीला, स्नेहलता |
भाई | प्रसन्न कुमार, बसन्त कुमार |
मन्नू भंडारी का पारिवारिक जीवन
मन्नू भंडारी के के व्यक्तित्व निर्माण में उनके माता-पिता और उनके भाई-बहन का विशेष योगदान था | माँ के स्नेह, पिता के मार्गदर्शन और शिक्षा-दीक्षा आदि की स्वतंत्रता के अतिरिक्त उन्हें अपने बड़े भाई-बहनों से भी भरपूर लाड़ मिला | उनका यह स्नेह जीवन पर्यंत बना रहा जहाँ वे एक दुसरे के दुःख और खुशियों को अपना समझते और बांटते |
पिता
मन्नू भंडारी के पिता का नाम सुखसम्पतराय भंडारी था जो स्वयं एक प्रतिष्ठित विद्वान् थे | उन्होंने कुल आठ भागों में ‘हिंदी पारिभाषिक कोष’ की रचना की और बाद में ‘विश्व कोश’ का भी कार्य संपन्न किया | वे जैन धर्मावलम्बी होने के बावजूद आर्यसमाज के विचारों से काफी प्रभावित थे | सुखसम्पतराय साहित्य के साथ-साथ राजनीति में भी बेहद सक्रिय थे | इंदौर कांग्रेस की स्थापना उनके घर पर ही हुयी थी |
मन्नू जी के साहित्यिक संस्कार तथा उनके व्यक्तित्व निर्माण का श्रेय उनके व्यक्तित्व के धनी और प्रभावशाली पिता को दिया जा सकता है | मारवाड़ी समाज में लड़कियों की शिक्षा और आजादी को लेकर कुछ धारणाएं थी जिसके विपरित जाकर उन्होंने मन्नू को शिक्षा और राजनीति में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया | मन्नू जी का प्रभात फेरियों और राजनैतिक जुलूसों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना तथा अन्य देश सेवा के कार्यों में संलग्न होने से उन्हें तनिक भी गुरेज नहीं था |
माता
मन्नू भंडारी की माता का नाम श्रीमती अनूप कुमारी था | उदार ह्रदय वाली उनकी माता एक घरेलु किस्म की, पुराने विचारों वाली अनपढ़ महिला थीं | धैर्य, सहनशीलता उनके विशिष्ट गुणों में से एक थे | मन्नू भण्डारी और उनके सभी भाई बहन पिता की अपेक्षा माँ के बेहद करीब थे | वे अपने बच्चों की उचित-अनुचित सभी मांगों को अपना फर्ज समझ कर पूरा करने का प्रयास करतीं |
भाई-बहन
मन्नू जी के दो भाई-बहन हैं | बड़े भाई प्रसन्न कुमार भंडारी ने अंग्रेजी विषय से एम.ए. किया और बतौर शिक्षक आजीवन कार्यरत रहे | दूसरे भाई बसन्त कुमार भंडारी ने भी अंग्रेजी विषय से अनुस्नातक किया और शिक्षण के व्यवसाय से जुड़े रहे | उनकी बड़ी बहन शुशीला विवाहोपरांत कलकत्ता चली गयीं | उनकी दूसरी बहन स्नेहलता ने बी.ए. किया और विवाह के पश्चात इंदौर चली गयीं जहाँ उन्होंने एक विद्यालय खोला और उसे जीवन पर्यंत चलाती रहीं |
मन्नू भंडारी का वैवाहिक जीवन
मन्नू भंडारी के पति का नाम राजेन्द्र यादव था | राजेन्द्र यादव हिंदी के जाने-माने सुप्रतिष्ठित लेखक थे | इनका विवाह 22 नवम्बर 1959 में कलकत्ता में हुआ था | राजेन्द्र जी को बालीगंज शिक्षा सदन के पुस्तकालय को ठीक करने के उद्देश्य से श्री भगवती सप्ताह खेतानजी द्वारा निमंत्रित किया गया था | इस दौरान मन्नू जी वहीँ पर बतौर अध्यापिका कार्यरत थीं | इसी दौरान मन्नू जी और राजेन्द्र जी का परिचय हुआ था | पहले पुस्तकों, लेखकों और साहित्यिक विषयों पर चर्चा होतीं जो बाद में धीमें -धीमें व्यक्तिगत चर्चाओं में तब्दील हो गयी और वे एक दूसरे के करीब आ गए |
उनके विवाह का प्रस्ताव मन्नू भंडारी के पिता श्री सुखसम्पतराय को स्वीकार नहीं था | वे इस अंतरजातीय विवाह के खिलाफ थे | अतः उनका विवाह मन्नू जी की बड़ी बहन शुशीला और उनके जीजा ने कलकत्ता में ही सम्पन्न करवाया |
शिक्षा और व्यवसाय
मन्नू भंडारी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के ‘सावित्री गर्ल्स हाईस्कूल’ में हुयी थी | इन्टरमीडिएट तक शिक्षा उन्होंने यहीं हासिल की | बार-बार पिता का तबादला होने के कारण उनकी शिक्षा अलग-अलग स्थानों से पूर्ण हुयी | अजमेर के कॉलेज में बी.ए. में प्रवेश न दिए जाने पर उन्होंने कॉलेज के खिलाफ आन्दोलन किया | आजादी के उपरांत उन्हें उसी कॉलेज में दाखिला तो मिला परन्तु वहां पर पढाई बीच में ही छोड़कर कलकत्ता अपनी बड़ी बहन शुशीला के पास चली गयीं | वर्ष 1949 में उन्होंने कलकत्ता से ही बी.ए. की डिग्री हासिल की | यहाँ बी.ए. में उनका विषय हिंदी नहीं था | कलकत्ता में एक वर्ष आध्यापन का कार्य करने बाद उन्होंने बनारस विश्वविद्यालय से बतौर बहिस्थ विद्यार्थी हिंदी विषय से एम.ए. की डिग्री हासिल की |
मन्नू भंडारी ने 1952 से लेकर 1961 तक कलकत्ता के ‘बालीगंज शिक्षा सदन’ में एक अध्यापिका के रूप में कार्य किया | उसके उपरांत कलकत्ता के ही ‘रानी बिडला कॉलेज’ में वर्ष 1964 तक शिक्षण के कार्य से जुड़ी रहीं | बाद में वे कलकत्ता से दिल्ली चली आयीं जहाँ वे अपने रिटायरमेंट तक दिल्ली के सुप्रसिद्ध ‘मिरांडा कॉलेज’ में बतौर प्राध्यापिका कार्यरत रहीं | सप्ताह में एक बार वे ‘दिल्ली विश्विद्यालय’ में एम.ए. की कक्षा में भी पढ़ाने जाया करतीं थीं |
मन्नू भंडारी की रचनाएँ
मन्नू भंडारी के उपन्यास
क्रम | उपन्यास के नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | एक इंच मुस्कान (राजेन्द्र यादव के साथ मिलकर की गयी रचना) | 1961 |
2 | आपका बंटी | 1971 |
3 | महाभोज | 1979 |
4 | स्वामी | 1982 |
मन्नू भंडारी के कहानी संग्रह
क्रम | कहानी संग्रह के नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | मैं हार गयी | 1957 |
2 | तीन निगाहों की एक तस्वीर | 1959 |
3 | यही सच है | 1966 |
4 | एक प्लेट सैलाब | 1968 |
5 | आँखों देखा झूठ (बाल-कहानियाँ) | 1976 |
6 | त्रिशंकु | 1978 |
नाटक
क्रम | नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | बिना दीवारों का घर | 1969 |
2 | महाभोज (नाट्य रूपांतर) | 1983 |
पट कथा
क्रम | नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | कथा-पटकथा | 2003 |
आत्म-कथा
क्रम | नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | एक कहानी यह भी | 2007 |
बाल-साहित्य
क्रम | नाम | प्रकाशन वर्ष |
---|---|---|
1 | कलवा (बाल-उपन्यास) | 1971 |
2 | आसमाता | 1971 |
मन्नू भंडारी की उपलब्धियाँ (Mannu Bhandari Awards / Achievements)
1 | महाभोज उपन्यास को सन 1976 से लेकर 1980 के बीच प्रकाशित हिंदी भाषा की सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृति के लिए रामकुमार भुवाल का 1100 रूपये का नकद पुरस्कार मिला | |
2 | उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा महाभोज उपन्यास को 6000 रूपये का पुरस्कार दिया गया | (वर्ष 1980-81) |
3 | केन्द्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा 1980-81 में अहिन्दी भाषी क्षेत्र की लेखिका के रूप में सम्मानित किया गया | |
4 | शिमला के आलइंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन द्वारा अखिल भारतीय बलराज साहनी स्मृति साहित्य प्रतियोगिता में ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र’ तथा ‘पीपल्स अवार्ड’ से सम्मानित किया गया | (1982-83) |
5 | भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता द्वारा वर्ष 1982 में सम्मानित किया गया | |
6 | भारतीय संस्कृति संसद कथा समारोह, कलकत्ता द्वारा 1983 में पुरस्कृत किया गया | |
7 | बिहार राज्य भाषा-परिषद् द्वारा वर्ष 1991 में सम्मानित किया गया | |
8 | राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा 2001-2007 | |
9 | महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी द्वारा वर्ष 2004 में सम्मानित किया गया | |
10 | हिंदी अकादमी दिल्ली शलाका सम्मान – 2006-2007 |
11 | मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन भवभूति अलंकरण – 2006-2007 |
वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान मन्नू भंडारी ने ‘पद्म श्री‘ तथा साहित्य कला परिषद् द्वारा प्रस्तावित पुरस्कार को न लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया था |