कुछ कहना था उनसे ,पर लफ्जों ने सहारा ना दिया
गमे भवर में थे जब , कस्ती ने किनारा ना दिया
कुछ गर्दिसें यूँ थी जो गर बाँटते उनसे ,उनकी आंशुओं के डर ने गवारा ना किया
कुछ कहना था उनसे ….
आज भी वो तड़प है , कुछ कह सकूँ शायद
आज फिर से प्यार में मैं मर सकू शायद ,
फिर मैं सोचता हूँ ,क्यों करू रुसवा उनको
जिन्होंने मुडके फिर से देखना , गवारा ना किया |
कुछ कहना था उनसे ….