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मैं और मैं : मृदुला गर्ग | Main aur main Upnayas By : Mridula Garg

Mridula Garg- मैं और मैं उपन्यास

‘मैं और मैं’ मृदुला जी द्वारा एक नवीन विषय को लेकर लिखा गया उपन्यास है | इस समाज में एक स्त्री लेखिका का किस प्रकार से शोषण किया जाता है, एक स्त्री लेखिका को किन सघर्षों का सामना करना पड़ता है, इस विषय पर प्रकाश डाला गया है | इस उपन्यास की नायिका ‘मैं’ एक ओर जहाँ एक गृहिणी के रूप में अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही है, वहीं दूसरी ओर एक लेखिका के रूप में अपने लेखन कार्य को करती हुई अपनी लेखकीय महत्वकांक्षाओं की पूर्ति हेतु कुछ भी करने के लिए तत्पर हो उठती है | परिणामतः एक मक्कार तथा धूर्त पुरुष के सम्पर्क में आने तथा उस पर विश्वास करने के कारण आर्थिक तथा मानसिक रूप से शोषित होती है | इस उपन्यास में एक स्त्री की महत्वकांक्षा किस प्रकार उसे वैचारिक रूप से अंधा बना देती है जो उसके अच्छे बुरे में भेद करने की निर्णयात्मक क्षमता का ह्रास कर शोषित होने को विवश करती है, तथा अंततः किस प्रकार स्वयं वह इस शोषण से मुक्त हो उस पुरुष को उसी के अपनाये तरीकों से जवाब देती है, इसका चित्रण बड़े ही सधे अंदाज में किया गया है |

उपन्यास का नाम (Novel Name)मैं और मैं (Main aur main)
लेखक (Author)मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
भाषा (Language)हिन्दी (Hindi)
प्रकाशन वर्ष (Year of Publication)1984

मैं और मैं उपन्यास की कथावस्तु

इस उपन्यास की कथावस्तु उन्नीस भागों में विभक्त है | ‘मैं और मैं’ उपन्यास की नायिका ‘माधवी’ को उपन्यास का नायक कौशल कुमार बेवकूफ और अबला नारी मानकर उसका निरन्तर शोषण करता है | उसे ठगता है | माधवी अपनी अह-तुष्टि एवं इच्छापूर्ति हेतु कौशल की लच्छेदार बातों में फँसकर निरन्तर शोषित होती है |

माधवी की जिन्दगी सुख एवं शांति से बीत रही थी | ऐसे में ‘कौशल कुमार’ उसके जीवन में प्रवेश करता है | कौशल भी एक प्रतिभाशाली लेखक किन्तु साथ ही एक कुंठाग्रस्त व्यक्ति है | कौशल का चेहरा जितना कुरूप है, उससे कहीं अधिक उसके अन्तर्मन की भावनाएँ कुरूप हैं | बातें सिद्धांतवादी हैं, किन्तु व्यवहार अत्यंत ही लिजलिजा है | वह माधवी पर अपनी वाक्-पटुता का प्रयोग कर उसे अपनी लच्छेदार बातों तथा अपने लेखन कौशल से प्रभावित कर उसके निजी जीवन में प्रवेश करता है | वह माधवी के लेखन की झूठी प्रशंसाओं के पुल बांधकर उसके लेखकीय अहं को पोषित करते हुए उससे पैसे ऐंठता है | कौशल की सारी बातें झूठ की बुनियाद पर ही टिकी हुई है | मैं और मैं में पूर्णतया झूठ पर ही आधारित है जिसके समक्ष सच कुछ भी नहीं है | माधवी धीरे-धीरे कौशल के झूठ से वाकिफ होती है | वह स्वयं भी इस झूठ का मजा लेती है और कहती है-

“वाह, मेरे दोस्त, अब तुम और मैं एक ही दायरे के अंदर कैद हैं | क्या झूठ है और क्या सच? क्या यथार्थ है और क्या नाटक ? क्या है वास्तविकता और क्या कल्पना और क्या फरेब के बल पर खड़ा फंतासी का संसार |”

मैं और मैं – मृदुला गर्ग

इस उपन्यास में माधवी और कौशल के अहं के टकराव को भी प्रस्तुत किया गया है | दोनों ही लेखक हैं तथा दोनों ही अहं भावना से ग्रसित हैं | कौशल अपने अहं की पूर्ति हेतु माधवी का शोषण करता है | इस अहं के टकराव में वर्ग चेतना दृष्टिगत होती है | कौशल कुमार एक ऐसे वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है जो मानवीय भावनाओं का गलत उपयोग करता है |

प्रस्तुत उपन्यास में सफल दाम्पत्य जीवन का वर्णन हुआ है | माधवी और राकेश एक सुखी दाम्पत्य जीवन बिताते हैं | माधवी दो बच्चों समीर और आलोक की माँ है | माधवी पूरी तरह अपने परिवार और पति के प्रति समर्पित है | वह अपनी गृहस्थी सम्बन्धी कार्यों का पूर्णरूपेण निर्वहन करते हुए अपने लेखन के दायित्व को भी पूरी तरह निभाती है | अपने पति राकेश की प्रशंसा करते हुए कौशल कुमार से कहती है –

“नहीं, मेरे पति आम हिन्दुस्तानी पति की तरह नहीं है | वे मेरी बात में दखल नहीं देते |”

मैं और मैं – मृदुला गर्ग

उधर राकेश भी एक अच्छे वफादार पति की तरह अपनी पत्नी तथा बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भलीभाँति निर्वहन करता है | परन्तु कौशल दोनों के मध्य प्रवेश कर माधवी से सहानुभूति जताकर उससे स्वार्थजन्य प्रेम का स्वांग करता है | माधवी आत्म-प्रशंसा की भूखी है | अतः कौशल से पहली बार मिलने पर उसके द्वारा अपनी और अपने लेखन की प्रशंसा सुनकर उसकी ओर खींचती चली जाती है | कौशल के धूर्ततापूर्ण प्रयासों के बावजूद माधवी और राकेश का वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक बीतता है | उपन्यास में माधवी में नीहित रोमान्स. आक्रोश तथा दंभ आदि का मनोवैज्ञानिक अंकन किया गया है |

मैं और मैं उपन्यास के पात्र

कौशल कुमार उपन्यास का प्रमुख पुरुष पात्र है | कुरूप चेहरे वाला कौशल एक प्रतिभाशाली लेखक तो है पर वह अपने अन्तर्मन से भी कुरूप तथा अहं भावना से ग्रसित होने के साथ-साथ एक कुंठाग्रस्त व्यक्ति है। चूंकि वह गरीब है, अतः वह मानता है कि समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता के लिए हर वह व्यक्ति जवाबदार है जो सम्पन्न है | इसीलिए वह मानता है कि माधवी जैसे सम्पन्न लोगों का आर्थिक तथा मानसिक शोषण करना उसका अधिकार है | इस शोषण के पूरे क्रम में कहीं भी उसमें स्वयं के द्वारा किए जाने वाले इस कृत्य के लिए न तो कोई पश्चाताप है और ना ही अपराधबोध | यहाँ तक कि वह इसे एक कला मानता है | वहीं इस उपन्यास के दूसरा पुरुष पात्र राकेश एक समझदार पति की तरह अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए एक अच्छे पिता तथा एक अच्छे पति के रूप में उपन्यास का एक केन्द्रीय पात्र बनकर उभरता है |

उपन्यास के संवाद

इस उपन्यास के पात्रों के मध्य हुए संवाद कहीं छोटे कहीं बड़े हैं तथा पात्रों की आन्तरिक वेदना, आक्रोश, प्रेम आदि को भली-भाँति उदघाटित करते हैं | माधवी और राकेश के एकांत पलों के उनके मध्य के संवाद उनके आपसी प्रेम, सौहार्द्र तथा समझ को दर्शाते हैं | माधवी और कौशल के अहं भाव तथा उनके अहं के टकरावों को भी संवादों में भली-भाँति उजाकर किया गया है |

मैं और मैं उपन्यास का शीर्षक सटीक है | प्रत्येक व्यक्ति हमेशा मैं मैं करता रहता है | यह मैं ही व्यक्ति में अहं भावना का बीजारोपण करता है | और यह मैं ही है जो इस अहं भावना का विकास तथा विस्तार कर उसके विनाश का कारण बनता है | इस उपन्यास की नायिका माधवी का एक अलग ही नारी रूप उभरकर सामने आया है जो पाठकों को भावनात्मक और वैचारिक दोनों ही धरातलों पर झिंझोड़ता है |

मैं और मैं उपन्यास की भाषा

माधवी भी चूंकि एक लेखिका है, उसकी भाषा भी काफी प्रभावशाली है | प्रस्तुत उपन्यास में अनेक शैलियों का तथा अनेक भाषा के शब्दों तथा कहावतों एवं मुहावरों का प्रयोग किया गया है |

इस प्रकार ‘मैं और मैं’ उपन्यास की कथावस्तु नवीनता को धारण किए हुए दो कुशल लेखकों जिसमें एक स्त्री तथा दूसरा पुरुष है तथा दोनों दो विभिन्न वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उनके अहं के टकराव, आक्रोश, शोषण आदि के साथ कथारोचक, पठनीय तथा धारावाही है |


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