Site icon साहित्य सृजन

अनित्य : मृदुला गर्ग | Anitya upnayas By : Mridula Garg

अनित्य उपन्यास By : Mridula Garg

अनित्य उपन्यास में पचास वर्षों के लगातार हास्योन्मुख होते सामाजिक परिवेश को प्रस्तुत किया गया है | इस उपन्यास में राजनैतिक विसंगतियों का भी बखूबी चित्रण किया गया है | मृदुला गर्ग जी ने भगत सिंह के क्रांतिकारी आंदोलन तथा गांधी के सविनय अवज्ञा आन्दोलन द्वारा प्रभावित भावबोध तथा देश की भयानक आर्थिक असमानता और वर्गभेद आदि को इस उपन्यास का प्रेरणास्रोत माना है |

अनित्य उपन्यास के कथा शिल्प के विषय में श्री लक्ष्मीनारायण लाल जी का कथन है-

”अनित्य सचमुच में अनित्य है | क्या कथा शिल्प है, भूत को वर्तमान में लाकर कैसे हमारा बनाया जाता है, यह मंत्र दिया है | ‘दुविधा’ से भी आगे प्रतिशोध और सशक्त है | कथा में विचार कैसे किस रंग में और अनुपात में आता है, यह अविस्मरणीय रहेगा |”

उपन्यास का नाम (Novel Name)अनित्य (Anitya)
लेखक (Author)मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
भाषा (Language)हिन्दी (Hindi)
प्रकाशन वर्ष (Year of Publication)1980

अनित्य उपन्यास की कथावस्तु

अनित्य उपन्यास की कथावस्तु दो भागों में विभक्त है | प्रथम भाग ‘दुविधा’ में अविजित के द्वन्द्व से उपन्यास की शुरुआत होती है | द्वितीय भाग ‘प्रतिबोध’ है जिसमें आजादी की लड़ाई फ्लैशबैक में चलती है और वर्तमान में अविजित के परिवार की कथा है | अविजित आजादी के पूर्व स्वतंत्रता सेनानी था | उसे जेल भी हुई थी | अविजित के पिता उसे आई.सी.एस. बनाना चाहते थे, किन्तु अविजित आई.सी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण होने के बावजूद आई.सी.एस. नहीं बन पाता | इसका एक मात्र कारण था, अंग्रेजों के प्रति उसमें विद्रोह की भावना | अविजित अपने क्रान्तिकारी साथी चड्ढा तथा काजल का साथ छोड़कर लखनऊ के एक जज सिंघल की बेटी श्यामा से विवाह कर लेता है | विवाह के बाद वह तुरंत ही सिंघानिया ग्रुप में जनरल मैनेजर के पद पर आसीन हो जाता है | अविजित अपने अन्तर्मन में निरन्तर अपराधबोध का अनुभव करता रहता है | अतः अपने पुराने साथियों को देखकर अत्यधिक व्यथित हो जाता है | उसकी मानसिक स्थिति का प्रभाव उसके बच्चे पर पड़ता है | उसका बच्चा ‘सुधांसु’ इस प्रादुर्भाव के परिणामस्वरूप अपंग पैदा होता है जो मानसिक रूप से अपंग है तथा तुतलाता भी है | बेटे की ऐसी दशा देख अविजित का मन गहन दुख से भर जाता है |

अविजित अपराधबोध से ग्रसित होने के कारण सम्बन्धयुक्त होकर भी सम्बन्धहीन ही रह जाता है | उसका परिवार धीरे-धीरे टूट जाता है | इस उपन्यास में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि समझौतावादी नीतियों का जनता के मानस पर क्या प्रभाव पड़ता है | साथ ही स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अवसरवादी मानसिकता को जन्म देने में उसकी कितनी और कैसी भूमिका रहती है | ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपना व्यक्तित्व खो बैठता है और उसके लिए सारे सम्बन्ध अपने मतलब के लिए ही बनाये जाते हैं |

अनित्य उपन्यास में मृदुला जी ने यह बताने का प्रयास किया है कि भगत सिंह आतंकवादी नहीं वरन् क्रान्तिकारी नेता थे | उनका मत है कि यदि वे कुछ और समय जीवित रहते तो शायद भारत पहले ही आजाद हो जाता | लेखिका के मतानुसार-

“अगर भगत सिंह कुछ दिन और जिन्दा रहे होते और युवा वर्ग का नेतृत्व कर पाते तो शायद 1932 से 1942 तक के वे दस साल समझौतों की नजर न होते और देश के युवक अपने को बुरी तरह दुविधाग्रस्त न पाते तब शायद आजादी कुछ ठोस अर्थ लिए आती |”

अनित्य – मृदुला गर्ग

अनित्य उपन्यास के कथ्य द्वारा समकालीन मानसिकता की अभिव्यक्ति की गई है | साथ ही इस उपन्यास में राजनैतिक विसंगतियों का सशक्त चित्रण भी किया गया है | व्यक्ति किस प्रकार सभी संसाधनों से सज्ज होने के बावजूद अकेलेपन तथा अपराधबोध का शिकार हो जाता है, उसे भलीभाँति दर्शाया गया है | डॉ. शीलप्रभा वर्मा के अनुसार- “अनित्य उपन्यास एक प्रकार से पूरे राष्ट्र की उत्थान पतन की कहानी है |”

अनित्य उपन्यास के पात्र

‘अनित्य’ उपन्यास में चार प्रकार के पात्रों का चित्रण किया गया है | प्रथम प्रकार के पात्रों में मुकर्जी बाबू सरण और शुक्ला जी जैसे पात्र जहाँ महाजनी सभ्यता के समर्थक हैं, वहीं इसके विपरीत दूसरे प्रकार के पात्र काजल, प्रभा, विमल आदि इस सभ्यता के कट्टर विरोधी हैं | इस उपन्यास का प्रमुख पात्र ‘अविजीत इस सभ्यता का न तो पूर्णरूपेण समर्थक है न ही इसका विरोधी है | वह निरन्तर द्वन्द्व, अकेलेपन तथा अपराध-बोध से घिरा रहता है | पत्नी श्यामा की बीमारी से वह हमेशा दुखी और चेतनाहीन रहता है |

अविजीत संगीता नामक युवती से यौन सम्बन्ध बनाता है जो उसके अन्दर मानसिक संघर्ष की उत्पत्ति करता है क्योंकि संगीता उसकी बेटी के समान थी | ‘अविजीत’ स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व पूरी तरह देश को समर्पित था, किन्तु आजादी के पश्चात् स्वार्थी बन जाता है | अपने मित्रों का साथ छोड़कर सरण और मुकर्जी बाबू की तरह दोगला और भ्रष्ट हो जाता है | गांधीवादी नायक अविजित का मानसिक संतुलन बिगड़ने पर धीरे-धीरे उसका परिवार भी बिखर जाता है | अन्ततः वह सदैव अपने में ही खोया रहता है | बिल्कुल पागलों की तरह | ‘अनित्य’ इस उपन्यास का दूसरा प्रमुख पात्र है जिसके नाम पर ही इस उपन्यास का नामकरण हुआ है | वह यायावरी प्रवृत्ति का होने के साथ-साथ एक निःस्वार्थी व्यक्ति है | भगत सिंह ने क्रान्ति की जो धारा प्रवाहित की थी, वह अनित्य के रूप में प्रवाहमान है | अनित्य अविजित का छोटा भाई है, लेकिन वह अविजित के मन का प्रतीक है | उसमें एक अजब सी शक्ति है, प्रत्येक स्थिति को आत्मसात करने की | इसके अतिरिक्त श्यामा प्रभा संगीता, काजल आदि गौण पात्र हैं |

उपन्यास के संवाद

‘अनित्य’ उपन्यास में पात्रों के मध्य हुए संवाद या वार्तालाप द्वारा उनके मन की चिन्ता, क्रोध, प्रेम, आपसी सम्बन्धों आदि का उद्घाटन हुआ है | संगीता जब अविजित के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखती है तो वह उस प्रस्ताव को ठुकरा देता है तथा साथ ही संगीता को यह स्पष्ट करता है कि वह पहले से ही विवाहित है और यदि उसकी पत्नी श्यामा को इसकी भनक भी लगी तो बुरा होगा | इस समय दोनो के मध्य हुए संवाद विशाल झगड़े का रूप धारण कर लेता है जिसके द्वारा दोनों के मध्य आपसी तनाव, क्रोध आदि का पता चलता है | एक उदाहरण दृष्टव्य है –

“मुझसे ब्याह करेंगे, अविजित जी?”

XXX “मैं शादीशुदा हूँ” उसने कहा |

“पर उन्हें तो आप प्यार नहीं करते”

“किसने कहा, नहीं करता?”

“उन्हें अगर मेरे बारे में पता चले?”

“क्या?” अविजित डर गया “तुमने उनसे कुछ कहा है?”

“उन्हें पता चलेगा तो क्या होगा?”

“तुम… तुम मुझ ब्लैकमेल कर रही हो !”

“अगर करूं तो?” उसने कहा |

“मैं तुम्हें जान से मार दूंगा” वह चीख उठा | “

अनित्य – मृदुला गर्ग

अनित्य उपन्यास के संवाद कहीं छोटे तो कहीं बड़े हैं, किन्तु बड़े ही सटीक हैं |

उपन्यास का परिवेश

अनित्य उपन्यास का परिवेश स्वतंत्रता पूर्व का है | इसी के साथ इस उपन्यास में वर्तमान सामाजिक एवं राजनैतिक गतिविधियों को दर्शाया गया है | स्वतंत्रता के पश्चात् के अन्याय, शोषण, भ्रष्टाचार तथा नैतिकता के पतन आदि को उद्घाटित किया गया है |

अनित्य उपन्यास की भाषा-शैली

इस उपन्यास की भाषा पात्रानुकूल है एवं परिवेश को पूरी तरह से उभारने में सक्षम रहा है | डोट्स भाषा द्वारा अविजित की सोच का एक उदाहरण दृष्टव्य है-

“चाय, सिगरेट, फैल पांव… सुकून और सुकूत चन्द लम्हें… जहाँ भी मिले | कहीं भी मिल सके है |”

अनित्य – मृदुला गर्ग

इस उपन्यास में कहीं-कहीं स्वर्णा नामक पात्र के संवादों में बंगाली भाषा के भी दर्शन हो जाते हैं | अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी देखा जा सकता है, जैसे- आल शट, आई नीड सम मनी आदि अंग्रेजी शब्दों तथा वाक्यों की भरमार है |  इस उपन्यास में तृतीय या अन्य पुरुष शैली, पूर्वदीप्ति शैली, फ्लैशबैक शैली और चेतना प्रवाह आदि शैलियों का प्रयोग किया गया है |

अनित्य मृदुला जी का एक अत्यन्त ही रोचक कथा से युक्त सशक्त उपन्यास है | कथा के माध्यम द्वारा स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता के पश्चात् लगातार हास्योन्मुखी समाज का विश्लेषण किया गया है |


Exit mobile version