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दाम्पत्य जीवन की दर्द भरी कहानियां : ‘दीवार में रास्ता’ | Deewar Mein Raasta Kahani Sangrah By- Tejendra Sharma


प्रवासी भारतीय साहित्यकारों में अनेक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देकर हिंदी साहित्य संसार के भंडार को समृद्ध किया है | उषा राजे सक्सेना, दिव्या माथुर, तेजेंद्र शर्मा आदि इस विधा में लेखनी चलाने वाले कुछ विशिष्ट नाम हैं | २१ अक्टूबर १९५२ में जन्मे तेजेंद्र जी प्रवासी साहित्य संसार के बहुत ही चर्चित एवं प्रतिष्ठित कलमकार हैं | भारतीय मूल के ब्रिटिश हिंदी लेखक तेजेंद्र जी ने अपने साहित्य के माध्यम से बहुत कम समय में ही अपना एक विशेष मुकाम हासिल कर लिया है | उनकी कहानियों में अधिकांशतः मानव जीवन की पीड़ाओं का चित्रण रहता हैं |

सन २०१२ में प्रकाशित ‘दीवार में रास्ता’ कहानी संग्रह में कुल ग्यारह कहानियां संग्रहित हैं | इस संग्रह की अधिकांश कहानियों में दाम्पत्य संबंधों में उत्पन्न वैचारिक भेद, अविश्वास, असहनशीलता, हिंसा, व्यविचार आदि का जिक्र आता है | पति पत्नी के मधुर सम्बन्ध जहाँ संपूर्ण परिवार को एक सूत्रता में पिरोये रखता है वहीँ इससे विपरीत अवस्था में परिवार बिखराव की कगार पर आ सकता है |

ओवरफ्लो पार्किंग

‘ओवरफ्लो पार्किंग’ एक ऐसी कहानी है जिसमें पति-पत्नी के वैचारिक भेद सदा के लिए दोनों के मध्य के संबंधों को कड़वाहट में बदल देते हैं | कहानी का  नायक मूलतः भारतीय है किंतु बाल बच्चों सहित लन्दन में बसा है | उसकी पत्नी उसके हर कार्य को बेकार बताती है | यहाँ तक कि वह उसे भी एक बेकार इन्सान मानती है | नायक ये चाहता है की उसकी पत्नी उसे छोड़कर कहीं और चली जाये लेकिन उसकी पत्नी हमेशा ही पति के लिए किये जाने वाले काम के लिए एहसान जताती है | मनो पूरा घर परिवार उसी के जिम्मे चल रहा है | नायक जानता है की उसका दांपत्य जीवन कितना नीरस, कितना बेसुरा है | कभी किसी भी काम में दोनों के विचार सामान नहीं होते | वह सोचता है- 

“बेसुरी तो उनकी शादी-शुदा जिन्दगी भी है | वै दोनों कभी एक ही सुर में नहीं बोलते | ………. एक दूसरे से शिकायत दोनों को है , किन्तु समाधान दोनों में से कोई नहीं ढूँढने का प्रयास करता |”

तेजेंद्र शर्मा – दीवार में रास्ता, ओवरफ्लो पार्किंग, पृ.४९

अपने मित्र की पत्नी के अंतिम संस्कार में जाते समय उसकी पत्नी और उसके बीच बहस हो जाती है | उसे हैरानी होती है कि ऐसे समय में भी उसकी पत्नी उससे लड़ रही है ! क्या पत्नी में जरा सी भी संवेदना नहीं रही ? पार्किंग में गाड़ी पार्क करने की जगह न मिलने और गाड़ी फंस जाने पर पति को जली कटी सुनते हुए कहती है- 

“जबसे तुम्हार साथ शादी हुई है मेरी तो पूरी जिंदगी ही फंस गई है |”

तेजेंद्र शर्मा – दीवार में रास्ता, ओवरफ्लो पार्किंग, पृ. ५६

नायक को लगता है की पत्नी के साथ उसका संपूर्ण जीवन ही ओवरफ्लो पार्किंग का हिस्सा बन गया है | अंत में उसकी पत्नी से बहस बढ़ जाती है और उसकी पत्नी गाड़ी लेकर अकेले ही घर चली जाती है | पत्नी के ऐसे व्यहार से दुखी अकेला बेबस नायक अपने घर की बजाय किसी अन्य जगह के लिए चल देता है |

तरकीब

जिस स्त्री को उसके पति से मात्र जिल्लत, क्रूरता और गालियाँ ही मिलती हों , ऐसी स्त्री किसी मजबूरीवश ही अपने पति के साथ जीवन बिताती है | ‘तरकीब’ कहानी की नायिका समीना भी एक ऐसी ही पत्नी है जिसे पति से सिवाय जिल्लत और बेरहमी के कुछ भी हासिल नहीं हुआ है | यहाँ तक की उसका पति अदनान उसे अपने घर के अन्य नौकरों की तरह ही मानता है | समीना सोचती है – 

“समीना उसके लिए सिर्फ एक औरत थी | पत्नी क्या होती है, शायद अदनान ने कभी इस बारे में सोचा ही नहीं | वह बस एक ही बात समझाता था की पत्नी का काम है घर की देखभाल करना, बच्चे पैदा करना ……….बिस्तर में पति को सुख देना और हमेशा अपने पति का एहसानमंद रहना कि वोह उसका ध्यान रखता है |”

तेजेंद्र शर्मा – दीवार में रास्ता, तरकीब, पृ. ६५

पति की मार खाते और अपमान सहते शादी के पच्चीस सैलून तक तो समीना बेआवाज़ पति की जायज-नाजायज सभी बातों को मानती है | लेकिन अंत में उसकी सहन शक्ति जवाब दे देती है और वह अपने पति के खिलाफ विद्रोह का स्वर अख्तियार करते हुए पति से तलाक लेने का निर्णय करती है | पति से मिले दर्द समीना में वह सहस भर देता है जिसे वह अपने बारे में स्वन्त्रत निर्णय कर पाती है |

कैलिप्सो

‘कैलिप्सो’ कहानी में दाम्पत्य जीवन में अविश्वास के कारण  बिखरते परिवारों की कथा कही गयी है | कहानी नायक नरेन की प्रेमिका सीमा जो तलाकशुदा थी, अपने पूर्व पति के अन्य स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंधों, व्यविचारों तथा अपने वैवाहिक जीवन त्रासदियों एवं असफलताओं के फलस्वरूप सभी पुरुष वर्ग के लिए अपने मानस में एक ग्रंथि विकसित कर लेती है की सभी मर्द एक जैसे आर्थात उसके पूर्व पति की भांति ही हूते हैं | इसका सीमा के मन पर इतना गहरा प्रभाव होता है की वह कभी भी किसी भी मर्द पर विश्वास नहीं कर पाती | यहाँ तक की प्रेमी नरेन को किसी और स्त्री के साथ सहज वार्तालाप करते हुए भी देखती है तो उसके मन में शक के बीज पैदा हो जाते है | नरेन् बस स्टॉप पर बठी कैलिप्सो की जब भी देखता उसे अपनी मित्र ‘ग्रेसी रेफल’ का वह वाकिया याद आ जाता जिसमें उसके पति ने उसे लूट कर सड़क पर घिसटने के लिए छोड़ दिया था | वह इसी कस्मोकस में रहता है कि कहीं कैलिप्सो भी इसी प्रकार के जुल्म का शिकार तो नहीं है | बहुत चाहते हुए भी वह सीमा की शकी प्रवृत्ति के भय से कैलिप्सो से किसी भी प्रकार का संवाद स्थापित नहीं कर पाता |

कल फिर आना ….

 किसी भी पति-पत्नी के जीवन में एक दूसरे के प्रति निश्छल प्रेम, आदर सम्मान तथा आपसी विश्वास आदि उनके वैवाहिक जीवन को सफल एवं सुखद बनाने के लिए अति-आवश्यक होते हैं | ‘कल फिर आना …..’ कहानी में रीमा और कबीर के दांपत्य जीवन का चित्रण किया गया है | रीमा का कबीर से अनमेल विवाह हुआ था | माँ बाप की तेरहवीं संतान रीमा का पति कबीर उम्र में उससे तेरह साल बड़ा है | दोनों की उम्र में इस तेरह वर्ष के अंतर से उनके वैवाहिक जीवन के सुखों में एक लम्बी दूरी बन जाती है |

विवाह के तेरह वर्ष पूरे हो जाने पर भी रीमा यह सोचने पर विवश है कि उसका अपना जीवन क्या है और पति के साथ उसका सम्बन्ध क्या है | घर संभालती, बच्चों का पालन पोषण करती तथा पति की प्रत्येक यातनाये सहती रीमा का शरीर उसके मन से विद्रोह करने लगता है | कबीर घर के बहार अनेकों लड़कियों से अनैतिक सम्बन्ध बनता फिरता है और दिनोदिन रीमा के प्रति उसकी उपेक्षा बढती ही जाती है | अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए वह एक शाम अपनी सहेली सीमा के घर चली जाती है और उसी दिन कबीर जल्दी घर आ जाता है और रीमा को घर न पाकर उसकी जमींदाराना प्रकृति को झटका लगता है और वह घर के तमाम दरवाजे अन्दर से बंद कर देता है | रीमा के घर आने पर दरवाजा नहीं खुलता और वह पूरी रात बाहर ठण्ड में बिताती है | कबीर का मन इतने से ही नाह भरता | सुबह वह रीमा को जली-कटी सुनाता है | डरी सहमी रीमा सोचती है- 

“विवाहित जीवन की यादों में कुछ भी सकारात्मक क्यों याद नहीं आता ? क्यों वह हमेशा किसी अँधेरी सुरंग के बीच जाकर कहीं खो जाती है ? एक शाम अपने अकेलेपन को दूर करने के प्रयास की सजा सारी रात कार में अकेले बीताना !” 

तेजेंद्र शर्मा – दीवार में रास्ता, कल फिर आना, पृ. १२२

रीमा और कबीर के बीच की दूरियां बढ़ती ही जाती हैं | अनेकों लड़कियों से अनैतिक सम्बन्ध रखने वाला दुराचारी कबीर बेशर्मी की सारी हदें पार कर देता है | पति की बेरूखी और अकेलेपन से परेशांन रीमा का जीवन मात्र घर और बच्चों तक ही सीमित रह जाता है |

इन्तज़ाम

पति द्वारा किये गए विश्वासघात, पत्नी की उपेक्षा एवं पति का अन्य स्त्रियों से सम्बन्ध किस प्रकार से एक स्त्री को गलत रास्ता अख्तियार करने के लिए विवश होती है | इन्हीं सभी बिन्दुओं को लेकर लिखी गई कहानी है ‘इन्तज़ाम’ | जिल का विवाह टेरेंस से होता है | प्रारंभ में तो दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है, किंतु जिल के माँ बनने पर टेरेंस का मन जिल से भर जाता है और वह एमा नामक लड़की से सम्बन्ध बनता है जिससे जिल का वैवाहिक जीवन तलाक की कगार पर आ जाता है |

 “सप्ताह, महीने, साल बीतने लगे | अकेलापन जिल को सालता रहता | टेरेंस बस पैसे लाता ; घर को चलाता | जिल का बदन उपेक्षा से जलता रहता, तरसता रहता |”  

तेजेंद्र शर्मा – दीवार में रास्ता, इन्तज़ाम, पृ. १६६

जिल अपने इस अकेलेपन को दूर करने का स्वयं इंतजाम करती है और एक दिन उसके जीवन में जेम्स प्रवेश करता है | जिम पति द्वारा किये गए अन्याय के विरूद्ध निर्णय लेती है और स्वयं से सात वर्ष छोटे जेम्स से सम्बन्ध स्थापित करती है | जेम्स का आगमन जिल के जीवन को खुशियों से भर देता है | जिल की बेटी एलिसन का प्रेम विवाह पीटर से होता है | दो बच्चों की माँ बनने के पश्चात् एलिसन के शरीर का बढ़ता वजन पति पत्नी के बीच दूरी पैदा करता है | पीटर दूसरी लड़कियों के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है | पति की बेरूखी से एलिसन का शरीर दिनोदिन पीला पड़ता जाता है | उसकी इस स्थिति को उसकी माँ समझ जाती है कि उसकी बेटी के जीवन में भी उसके अपने जीवन की कमियों की पुनरावृति हो रही है |


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