दिलीप मेहरा की हिंदी कहानियों में व्यंग्य (सामाजिक विसंगतियों पर चोट)
व्यंग्य की उत्पत्ति ही सामाजिक विसंगतियों, विद्रूपताओं, पाखंडों तथा विरोधाभासों से उपजने वाले असंतोष से होती है | इसके माध्यम से एक रचनाकार अपने अनुभवों तथा अपने आस-पास के परिवेश की विसंगतियों को अप्रत्यक्ष…