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कितनी कैदें : मृदुला गर्ग | Kitni Kaiden kahani sangrah By : Mridula Garg

कितनी कैदें कहानी संग्रह - by mridula garg

कितनी कैदें कहानी संग्रह का कथानक जितना प्रभावशाली है, उसके पात्र भी उतने ही प्रभावशाली एवं भिन्न-भिन्न आयामों से युक्त है | इस संग्रह की कहानियों में विभिन्न प्रकार के पात्रों एवं उनकी समस्याओं तथा उनके बदलते व्यक्तित्व का अंकन हुआ है |

इस संग्रह में संग्रहित हरी बिंदी कहानी की प्रमुख नारी भारतीय परम्पराओं एवं मान्यताओं को नकारती है | भारतीय परम्परा के अनुसार शादी-शुदा स्त्री लाल बिंदी लगाती है, किन्तु नायिका हरी बिंदी लगाकर उस परम्परा का विद्रोह करती है | नायिका को दाम्पत्य जीवन की एकरसता से ऊब है, अतः पति की अनुपस्थिति में वह मुक्त जीवन का अनुभव करती है | पति की नापसंद को पसंद कर स्वच्छन्द जीवन जीना चाहती है |

कहानी संग्रह का नामकितनी कैदें (Kitni Kaiden)
लेखक (Author)मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
भाषा (Language)हिन्दी (Hindi)
प्रकाशन वर्ष (Year of Publication)1975

कितनी कैदें कहानी संग्रह का कथानक

कितनी कैदें कहानी संग्रह में वैवाहिक जीवन के तनाव, स्त्री की पीड़ाओं आदि का चित्रण हुआ है |

कितनी कैदें

कितनी कैदें कहानी में आज की युवा पीढ़ी की विक्षिप्त मानसिकता के साथ-साथ पति-पत्नी के मध्य उत्पन्न हुए तनाव की भी अभिव्यक्ति हुई है | साथ ही इस कहानी में मृत्युबोध का भी चित्रण दिखायी पड़ता है | कहानी की नायिका मीना जब अपने सहअध्यायी मित्रों के साथ जुहू तट पर पिकनिक के लिए जाती है, तब उसने भी अपने मित्रों के साथ नशा करना शुरू कर दिया | अधिक थ्रिल नशे की चाह में उसका मन तरह-तरह की कल्पनाएँ करने लगा | उतने में ही उसके एक दोस्त ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा और वह झट से तैयार हो गयी | वहाँ वह लड़का और उसके मित्र उस पर सामूहिक बलात्कार करते हैं | इस घटना के पश्चात् मीना की माँ उसे अनेक यातनाएँ देतीं हैं जिन्हें वह मजे से सह लेती | वह प्रत्येक बंद जगह पर घुटन महसूस करती |

मनोज के साथ विवाह होने पर वह मनोज को अपने बलात्कार के विषय में कुछ भी नहीं बताती | पति मनोज के स्पर्श से वह कभी भी रोमांचित नहीं हो पाती | एक दिन मीना लिफ्ट में फँस जाती है | मृत्यु को अपने समक्ष पाकर वह हिस्टीरिया की शिकार हो जाती है | इस स्थिति में वह पति मनोज को सम्पूर्ण सुख देना चाहती है | वह मनोज को स्वयं पर हुए बलात्कार के विषय में सबकुछ सच-सच बता देती है जिसके पश्चात् उसे नये जीवन की प्राप्ति के समान अनुभूति होती है | वह अपनी पुरानी दर्दनाक स्मृतियों से छुटकारा प्राप्त कर लेती है | इधर मनोज के मन में यह सत्रास उत्पन्न होता है कि वह मीना के साथ अपने आने वाले दिन कैसे गुजार पायेगा |

विचल

विचल कहानी में उच्चवर्गीय लोगों की मानसिकता का चित्रण किया गया है | कहानी की नायिका शोना अपने पति सतीश के साथ रहती है | सतीष चीफ इंजीनियर है तथा शोभा एक कुशल गृहिणी जो अपने घर को हमेशा सजाकर संवार कर रखती है | शोभा की बड़ी ननद अलका जीजी और उसका पति संदीप पहली बार घर आते हैं और उसके घर की बागीचे की तथा शोमा की खूब तारीफ करते है, जिसे सुनकर शोभा बेहद गर्व का अनुभव करती हुई अति प्रसन्न होती है |

अलका के जाते ही शोभा की छोटी ननद सरोज और उसका पति निखिल जो कि जनरल मैनेजर था. शोभा के घर आते हैं | शोभा चाहती है कि सरोज और निखिल भी उसके घर की तारीफ करें लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि अलका के आने पर जो घर बड़ा और सुन्दर लग रहा था, वही अब खामियों से भरा हुआ लग रहा था जिसकी वजह से शोभा और सतीश को शर्मिन्दगी महसूस होती है |

इस कहानी में लोगों की एक ही वस्तुओं को देखने परखने को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाओं एवं उस प्रतिक्रिया से उत्पन्न कमी प्रसन्नता तो कभी दुख तथा शर्मिन्दगी के भाव का चित्रण किया गया है |

झुटपुटा

झुटपुटा कहानी में सत्रह वर्षीय युवक केशव का मौसी के साथ के मानसिक स्तर पर चलने वाले शारीरिक आकर्षण का अंकन हुआ है | तारा अग्रवाल इस कहानी में व्यक्त काम सम्बन्धों के विषय में लिखती हैं- “लेखिका ने देहधर्म की जैविक आवश्यकता को सहज रूप से स्वीकार कर काम भावनाओं की खुली चर्चा का साहसिक प्रयास प्रस्तुत कहानी में किया है | “”

माता-पिता के न रहने पर केशव अपनी मौसी रेखा के घर रानीगंज आ जाता है जहाँ मौसी को लेकर उसके मन में काम-भावना की उत्पत्ति होती है | वह मौसी के प्रत्येक स्पर्श से उत्तेजित हो उठता है | कई बार सपने में मौसी को अपनी बाहों में समा लेता है | इस विचित्र मनोदशा की वजह से उसके मन में अपराधबोध की भावना उत्पन्न होती है | कुंठाग्रस्त केशव होस्टल में रहते हुए किसी से भी मेलजोल नहीं बढ़ा पाता | अन्ततः केशव सब कुछ भूलकर दोस्त बनाता है, खूब हँसता है तथा मन में घर कर गई अपनी कुठा से मुक्ति पा लेता है |

लौटना और लौटना

लौटना और लौटना कहानी भारत से विदेश जा बसे हरीश की कहानी है जो विदेश जाकर स्वार्थी और अर्थलोलुप मनोवृत्ति का हो भारत लौटता है | भारत आकर वह विवाह कर लेता है तथा मकान भी बनवाता है, परन्तु उसमें अपने बाबू जी को रहने नहीं देता बल्कि मकान को किराये पर देकर किराए के पैसे को अपने बैंक खाते में जमा किए जाने का इंतजाम कर वापस विदेश लौट जाता है | वह अपने माता-पिता से तनिक भी लगाव नहीं रखता, बल्कि पैसों से अतिशय लगाव रखता है | बात-बात पर विदेशी रहन-सहन को महिमामंडित करते हुए भारतीय रहन-सहन को हीन दिखाने का प्रयास करता है | इस कहानी के माध्यम से पिता-पुत्र के सम्बन्धों में आये बदलाव, पुत्र की स्वार्थपूर्ण वृत्ति तथा विदेशी सभ्यता का अंधानुकरण आदि समस्या का चित्रण किया गया है |

एक और विवाह

एक और विवाह कहानी पाश्चात्य दृष्टिकोण से प्रभावित भारतीय स्त्रियों की कहानी है | इस कहानी के माध्यम से पाश्चात्य विचारों का अनुकरण करने वाली कोमल और रानी के विवाह विषयक दृष्टिकोण को उजागर किया गया है | कहानी की नायिका कोमल का व्यवस्थित विवाह में विश्वास नहीं है | वह व्यवस्थित विवाह का कारण आर्थिक अवलंबन या शारीरिक भूख मानती है जिसकी उसे जरूरत नहीं है | वह ऐसा प्रेम चाहती है जिसे बासी होने पर फेंक दिया जाये | कोमल सेक्स की अपेक्षा रोमास को महत्व देती है | कोमल बचपन से ही स्त्री सुलभ लज्जा से सुसंस्कृत होने के कारण मदन द्वारा प्रथम चुंबन लिए जाने पर उसे परे धकेल देती है | किन्तु सुहाग रात के समय कोमल जरा भी नहीं सकुचाती | यहाँ कोमल पाश्चात्य सभ्यता से पूरी तरह प्रभावित मालूम होती है |

‘एक और विवाह कहानी की नायिका ‘कोमल’ आधुनिक विचारयुक्त होने से विवाह संस्थान का विरोध करती है | कोमल शिक्षित होने के साथ नौकरीपेशा भी है | वह विवाह करने के दो कारण बताती हैं. एक अर्थ की आवश्यकता और दूसरा शारीरिक भूख | कितनी कैदें की नायिका मीना विवाहपूर्व स्वयं पर हुए बलात्कार की वजह से विवाह नहीं करना चाहती किन्तु विवाह के बाद मनोज के साथ जमीन के गर्भ में जाते समय लिफ्ट बन्द हो जाने पर मीना को मौत का एहसास होता है | मृत्य के एहसास से उसके मन की अनेक गांठे खुल जाती हैं | दुनिया का कायदा कहानी की नायिका रक्षा परम्परागत भारतीय नारी का प्रतिनिधित्व करती है | पति सुनील की अनुचित माँगों को पूरी करती है | समाज के कायदों के नाम पर पति की मांगों को स्वीकार करती है |

दुनिया का कायदा

दुनिया का कायदा कहानी में समाज के खोखले रीति-रिवाजों, वसूलों आदि पर करारा व्यंग्य किया गया है | साथ ही इस कहानी के माध्यम से समाज के कुछ लोग किस प्रकार अपनी उन्नति के लिए अपनी पत्नी का गलत इस्तेमाल कर तरक्की की सीढ़ी चढ़ने का प्रयास करते हैं उनकी मानसिकता को उजागर किया गया है |

इस कहानी के प्रथम भाग में ग्रामीण समाज एवं उनके बनावटी रीति-रिवाजों को दर्शाया गया है | इस कहानी में बहू की मृत्यु पर औरतें एक ओर तो छाती पीट-पीट कर रोती हैं, वहीं दूसरी ओर नई बहुओं के विषय में पंचायतें करती रहती हैं | कहानी की नायिका रक्षा को भी बड़ी बहू की मृत्यु पर छाती पीट कर रोने के लिए कहा जाता है | रक्षा को इस खोखलेपन से चिढ़ आती है | उसे यह सब बनावटी तथा खोखला लगता है | रक्षा जब इस बात का विरोध करती है कि जेठानी को मरे अभी बाहर दिन भी नहीं हुए और उसके जेठ जी की दूसरी शादी की बात भी कैसे की जा सकती है तो लक्ष्मी बुआ पुरुष की दूसरी शादी को दुनिया का कायदा बताती हैं |

कहानी के दूसरे भाग में शहरी समाज का चित्रण हुआ है तथा नायक के स्वार्थवृत्ति पर प्रकाश डाला गया है | रक्षा का पति सुनील अपना काम पूरा कराने के लिए रक्ष का इस्तेमाल करना चाहता है | वह रक्षा को मि. मेहता के साथ पार्टी में नाचने के लिए मजबूर करता है | मि. मेहता नाचते समय रक्षा के साथ अजीब हरकते करता है जिसपर रक्षा को बहुत क्रोध आता है | इस समय रक्षा की मानसिक दशा का अंकन इस प्रकार हुआ है –

उसका मन हो रहा था, मिस्टर मेहता के गाल पर एक तमाचा लगाकर उन्हें धक्का दे अलग कर दें और चीख-चीख कर उनकी भर्त्सना करे |”

कितनी कैदें – मृदुला गर्ग

दुनिया का कायदा में खोखले रीति-रिवाजों, पति-पत्नी के तनावपूर्ण सम्बन्ध, मानसिक यौन विकृति आदि समस्याओं का चित्रण किया गया है | अंदर-बाहर अंदर-बाहर कहानी में एक कैदी की मानसिकता का चित्रण हुआ है | इस कहानी के माध्यम से यह पता चलता है कि किस प्रकार एक व्यक्ति दूसरे से बदला लेने के लिए उसकी जान तक ले लेता है | इस कहानी में बदले की भावना के दुष्परिणाम का चित्रण किया गया है | कहानी का नायक अपनी पत्नी पर हुई छींटाकशी को बर्दास्त नहीं कर पाता है और उसके हाथों एक आदमी का खून हो जाता है | परिणामतः उसे जेल हो जाती है | जेल में रहते हुए वह पुनः बुरा काम न करने का निश्चय करता है | किन्तु जेल से बाहर छूटने पर पत्नी लीला के घर जाते समय उसका खून हो जाता है |

अगर यों होता

अगर यों होता कहानी में विवाहेत्तर प्रेम सम्बन्ध का अंकन किया गया है | इस कहानी की नायिका मधुर और नायक जिम दोनों ही विवाहित तथा अपने-अपने पारिवारिक जीवन में सुखी हैं | दोनों की मुलाकात किसी नाटक के रिहर्सल के दौरान होती है जहाँ वे दोनों एक दूसरे की ओर आकृष्ट होते हैं | जिम अपनी पत्नी से बेहद प्यार करता है | इघर मधुर भी अपने पति को बेहद चाहती है | जिम मधुर के प्रति अधिक भावुक होता है | किन्तु मधुर अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए जिम को टालती रहती है | उसे इस बात का एहसास है कि वह विवाहित है तथा उसके बच्चे हैं | नाटक समाप्त होने पर दोनों के मन में भावनाओं का सैलाब सा उमड़ता है लेकिन यह सैलाब क्षण मात्र के लिए होता है | जल्द ही दोनों संभल जाते हैं | डॉ. तारा अग्रवाल के अनुसार “कहानी में कल्पना की उड़ान भी है और यथार्थ का ज्ञान भी | परिणामस्वरूप मधुर और जिम दोनों अपने-अपने रास्ते लौट आते हैं | मधुर जिम के प्रति आकर्षित जरूर होती है, लेकिन अपने पति से विश्वासघात नहीं करती नाटक समाप्त होने पर जिम को विदा कर अपने घर लौट जाती है |

उनके जान की खबर

उनके जाने की खबर एक मनोरंजक कहानी तो है ही साथ ही इसमें आधुनिक जीवन पद्धति का एक नया आयाम सामने आता है | यह ऐसे दो व्यक्तियों की कहानी है जो एक ही ऑफिस में कार्य करते हैं और एक दूसरे से जलते हैं | डिप्टी मैनेजर वर्मा हमेशा यही कल्पना करता रहता है कि उसका बॉस जनरल मैनेजर सिन्हा का या तो हार्ट फेल हो जाये या उसे डिसमिस कर दिया जाये | इसी ख्याल में वह जनरल मैनेजर की पोस्ट के लिए स्वयं ही विज्ञापन तैयार कर छपवा देता है | इधर सिन्हा विज्ञापन को देख हक्का-बक्का सा रह जाता है तथा विज्ञापन की वास्तविकता जाने बगैर स्वयं इस्तीफे की पेशकश करता है | मैनेजर श्रीयुत नागर यह विज्ञापन देख सिन्हा का इस्तीफा मन्जूर कर लेता है | इस कहानी के सभी पात्र गलतफहमी का शिकार होते हैं | मि. सिन्हा के जाने की खबर सुने बिना ही वर्मा वहाँ से भाग निकलता है |

हरी बिंदी

हरी बिंदी कहानी मृदुला गर्ग की सुप्रसिद्ध कहानियों में से एक है | इस कहानी के माध्यम से परम्परागत भारतीय नारी की बन्धनयुक्त छवि को मुक्ति मिलती है | जहाँ हमारे भारतीय समाज में स्त्री का दायरा केवल घर परिवार बच्चे पति तथा घर के कार्य आदि तक ही सीमित है, वहीं इस कहानी की नायिका के माध्यम से इस दायरे को तोड़ विस्तृत दायरे में जीवन जीने तथा स्वतंत्र रहने की प्रेरणा दी गई है | इस कहानी की नायिका अपने पति राजन के व्यवहार से ऊब चुकी है | राजन के बार-बार दिल्ली चले जाने पर वह मनचाहा स्वतंत्र व्यवहार करती है | वह अपने तरीके से जीवन जीती है | जब चाहे तब सोकर उठती है, पर अपने जीवन में नयापन लाने के लिए वह अपनी पसंद की जगहों पर घूमती है, अजनबी पुरुषों के साथ हँसी मजाक करती है, किन्तु अन्ततः किसी लगाव के कारणवश अपने घर वापस आ जाती है | इस कहानी के बारे में मधु संधु ने कहा है-

“हरी बिन्दी बौद्धिक महानगरीय युवती के सन्दर्भ में अस्तित्वगत चेतना को महसूस करती एवं दाम्पत्यगत एकरसता से उकता चुकी युवती की दिशाहीनता की कहानी है | अतः कहा जा सकता है कि यह कहानी स्वतंत्र जीवन की चाह रखने वाली स्त्री की कहानी है |”

कितनी कैदें कहानी संग्रह के पात्र एवं संवाद

कितनी कैदें कहानी संग्रह के प्रमुख पुरुष पात्र केशव, सुनील, हरीश, मनोज आदि है | झुटपुटा कहानी का नायक केशव एक व्यभिचारि युवक है तथा अपनी मौसी के स्पर्श मात्र से वह पुलकित हो जाता है और स्वप्न में ही अपनी काम भावनाओं की पूर्ति करता है | दुनिया का कायदा कहानी का सुनील स्वार्थी एवं आडंबरी पुरुष है | अपने अटके हुए काम को पूरा करने के लिए पत्नी तक को दाव पर लगा देता है | पाश्चात्य संस्कृति का अधानुकरण करने वाला ‘लौटना और लौटना कहानी का हरीश विवाह के लिए एक सेक्सी लड़की चाहता है तथा भारतीय जीवन के तौर तरीकों को सुच्छ समझता है | इस संग्रह की कहानियों के कथानक का विस्तार पात्रों के मध्य हुए बातचीत उनकी समस्याओं, उनकी कुठाओं आदि से हुआ है | दुनिया का कायदा कहानी में पति-पत्नी के संवाद उनके दाम्पत्य जीवन में पैदा हुए तनाव को अभिव्यक्त करते हैं | नयी पुरानी पीढ़ी के बीच संघर्ष पाश्चात्य संस्कृति के अनुकरण से पारिवारिक रिश्तों में आये तनाव को लौटना और लौटना कहानी में चित्रित किया गया है | पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने वाला इस कहानी का नायक हरीश शादी की बात होते समय पिता से बेहिचक कहता है लड़की गोरी-काली जो भी हो सेक्सी होनी चाहिए |

एक और विवाह कहानी में कोमल और मदन के बीच हुए संवाद से कोमल के अर्थ विषयक दृष्टिकोण का पता चलता है | मदन ने पूछा “विवाह के बाद आप काम करना चाहेंगी?

“किस किस्म का काम?”

“मेरा मतलब, नौकरी |”

“पैसों के लिए या बिना पैसों के? “क्या मतलब?”

“बिना पैसा पाए नौकरी सभी विवाहित स्त्रियां करती हैं |

कितनी कैदें – मृदुला गर्ग

कितनी कैदें कहानी संग्रह का परिवेश

इस संग्रह की कहानियों में आधुनिक परिवेश के तहत दो पीढ़ियों के बीच संघर्ष विदेशी आकर्षण आदि विसंगतियाँ देखी जा सकती है | आधुनिक परिवेश के तहत अपनी उन्नति हेतु किस प्रकार एक पति अपनी पत्नी को दूसरे पुरुष के पास भेज देता है ऐसे अनैतिक विचार रखने वाले पुरुष का चित्रन दुनिया का कायदा कहानी में हुआ है |

कितनी कैदें कहानी संग्रह की भाषा एवं शैली

इस संग्रह की कहानियों में प्रयुक्त भाषा सरल सुबोध एवं पात्रानुकूल है | भाषा पात्रों के भावों को उद्घाटित करने में सहायक है | इस कहानी संग्रह में आत्मकथात्मक, पूर्वदीप्ति, वर्णनात्मक आदि शैलियों का प्रयोग हुआ है | इस प्रकार कितनी कैदें कहानी संग्रह में पति-पत्नी के तनावपूर्ण जीवन मानसिक यौन विकृति, खोखले रीति-रिवाज में पिसते लोग आदि का चित्रण हुआ है |


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