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हर हाल बेगाने – मृदुला गर्ग | Har Haal Begaane – Mridula Garg

हर हाल बेगाने - मृदुला गर्ग

हर हाल बेगाने कहानी संग्रह में कुल बारह कहानियाँ संग्रहित हैं, जिसमें से सितम के फनकार एक मात्र नयी कहानी है तथा बाकी की कहानियाँ पूर्वप्रकाशित संग्रहों से ली गयी हैं |

कहानी संग्रह का नाम हर हाल बेगाने  (Har Haal Begaane)
लेखक (Author)मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
भाषा (Language)हिन्दी (Hindi)
प्रकाशन वर्ष (Year of Publication)2014

हर हाल बेगाने कहानी संग्रह का कथानक

सितम के फनकार कहानी विदेश में जा बसे खालिस हिन्दुस्तानियों के आडंबर दोहरे मापदंड तथा विदेशियत को उच्च दर्जा देते हुए उसकी नकल तथा हिन्दुस्तानी रीति-रिवाज आदि की आलोचना को अपने अन्दर समाविस्ट किए हुए है | कहानी की नायिका सोनिया अमेरिका में ‘मिस्टर जीवन वर्मा के घर खाने पर जाती है | वहाँ जीवन की मेहमान नवाजी में उसे विदेशी शिष्टाचार के आडंबर की बू आती है, मसलन नायिका को ऐसी जगह बिठाया जाना जहाँ कमरे की एक मात्र फोटो सीधे उसके सामने दिखाई पड़े | हिन्दुस्तानी खाने-पीने तथा शिष्टाचार की आलोचना करता है | वह अपनी पत्नी सुरुचि की ओर इंगित कर कुछ भारतीय खानों के बारे में जिक्र करते हुए कहता है कि किस प्रकार ये सब चीजें वह बनाना जानती है तथा उसे पसंद है और इसके अतिरिक्त कुछ और पकाना नहीं जानती, मानो यह कितनी अपमान की बात हो | इससे लेखिका को यह ज्ञात हो जाता है कि पति के ढकोसलों में साथ देना सुरुचि की विवशता है, अन्यथा दिल से वह अभी भी खालिस हिन्दुस्तानी है | वहाँ उपस्थित अन्य मेहमान ‘मुरलीधर और उनकी बेटी सपना से बात करते हुए उसे ज्ञात होता है कि किस प्रकार मुरलीधर टर्मिनल कैंसर से पीड़ित अपनी पत्नी को केरल के एक नैच्युरोपैथी से इलाज करने वाले आश्रम में छोड़ आये हैं, हालांकि वे स्वयं इन सब को ढकोसला मानता है | इलाज में नैच्युरोपैथी तथा आध्यात्म की सराहना करते हुए वे अपनी बेटी सपना से दरअसल यह छुपाने का प्रयास कर रहे हैं कि किस प्रकार वे पत्नी को उसके हाल पर मरने के लिए छोड़ आये हैं | भारतीय संस्कृति की वह विचारधारा जिसके तहत वे मानते हैं कि पैदा होने वाले की मृत्यु निश्चित है, उसका हवाला देते हुए जीवन वर्मा कहते हैं कि भारतीय जीवन का क्या मूल्य समझेंगे, तब सुरुचि कहती हैं-

“अलग हम हो रहे हैं, वे नहीं | वे तो सेवा कर रहे हैं |”

हर हाल बेगाने – मृदुला गर्ग

यहाँ ऐसे लोगों का जिक्र किया गया है जो अपने स्वार्थ के लिए भारतीय संस्कृति को कभी खूब जमकर कोसते हैं परन्तु उसके मूल्यों को अपनी आवश्यकता अनुसार अच्छा बताते हुए उसे अपनाने से कतराते नहीं | यहाँ उनके सितम करने के फन का जिक्र हुआ है कि किस प्रकार वे दूसरों पर अन्याय तो करते हैं, किन्तु उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं होने देते |

हर हाल बेगाने कहानी संग्रह के पात्र

प्रस्तुत कहानी में विभिन्न मानसिकता वाले पात्रों का वर्णन हुआ है जो भारतीय समाज के धर्म, अध्यात्म, यहाँ की जीवनशैली, खान-पान वगैरह के बारे में अलग-अलग सोच रखते हैं | कहानी के कुछ पात्र ऐसे हैं जिन्हें अपने भारतीय होने पर गर्व है, वहीं कुछ को उससे शर्मिन्दगी महसूस होती है | कहानी की नायिका सोनिया विशुद्ध भारतीय है और उसे अपने भारतीय होने पर गर्व है | वह कहती हैं-

“न मुझे हिन्दुस्तानी होने से ऐतराज था. न बेहूदा होने से पर बेहूदा हिन्दुस्तानियत से नवाजा जाना कुबूल न था |”

हर हाल बेगाने – मृदुला गर्ग

कहानी का प्रमुख पुरुष पात्र जीवन वर्मा एक प्रवासीय भारतीय है | वह भारतीय मान्यताओं, धर्म, परम्पराओं आदि में विश्वास नहीं रखता | मुरलीधर भारतीय मूल्यों की धज्जियाँ उड़ाता है किन्तु अपनी पत्नी के इलाज के लिए उसे भारत के ही एक आश्रम में इलाज के लिए छोड़ आता है | यह उसके दोगले चरित्र को दर्शाता है |

कहानी संग्रह के संवाद तथा परिवेश

पात्रों के संवाद उनकी मनःस्थिति को उद्घाटित करने में सफल हुए हैं | जीवन वर्मा हिन्दुस्तान में व्यक्ति के मृत्यु या जीवन की उपेक्षा के विषय में जिक्र करता है—

“हिन्दुस्तान में इन्सान की ज़िन्दगी की कीमत क्या है.. उनके लिए जीवन-मृत्यु ईश्वर की इच्छा है, माया है, नियति है | संसार क्षणभंगुर है, जो आता है, जाता भी है फलसफा झाड़कर अलग हो जायेंगे |”

हर हाल बेगाने – मृदुला गर्ग

आधुनिक परिवेश की इस कहानी में उच्च-वर्गीय आडंबर, परिवार में संवेदनहीनता, धार्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों का उपहास आदि का चित्रण हुआ है | वर्णनात्मक शैली द्वारा सूरत में आयी बाढ़ एवं उसके विनाशकारी प्रभाव का वर्णन किया गया है |


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