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वो दूसरी – मृदुला गर्ग | Voh Dusari – Mridula Garg

वो दूसरी – मृदुला गर्ग

‘वो दूसरी’ कहानी संग्रह का प्रकाशन वर्ष 2014 में हुआ जिसमें अन्य संग्रहों में संग्रहित कहानियों के साथ कुछ नई कहानियाँ भी संग्रहित हैं | इन कहानियों में स्त्री के अधिकारों के हनन, स्त्री की विवशता, वृद्धावस्था में पारिवारिक सदस्यों की उपेक्षा एवं दो पीढ़ियों के टकराव आदि समस्याओं का अंकन हुआ है |

कहानी संग्रह का नामवो दूसरी (Voh Dusari)
लेखक (Author)मृदुला गर्ग (Mridula Garg)
भाषा (Language)हिन्दी (Hindi)
प्रकाशन वर्ष (Year of Publication)2014

वो दूसरी कहानी संग्रह की कथावस्तु

बेंच पर बूढ़े

बेंच पर बूढे कहानी में वृद्धावस्था की समस्या का चित्रण किया गया है | ‘नितिन सोलकी पत्नी की मृत्यु के बाद बहू-बेटे और पोते-पोती के साथ रहते हुए भी अकेलेपन में जीवन बिताता है | पत्नी की मृत्यु के बाद उसे  अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है | बहू मान्यता खुद तो अपने और बच्चों के लिए तरह-तरह के पकवान मंगाकर खाती खिलाती है, किन्तु बूढे नितिन को बेस्वाद सा खाना खाकर संतोष करना पड़ता है | नितिन अक्सर लोदी गार्डन में जाता है और एक बेंच पर बैठे-बैठे अपने अकेलेपन के बारे में सोचता है | उसी गार्डन में बी. के नामक व्यक्ति उसे मिलता है जो कि उसी की तरह वृद्ध एवं भरे पूरे परिवार के होने पर भी अकेला है | नितिन और बी. के. अक्सर मिलते और अपना-अपना दुःख, सुख साझा करते | प्रस्तुत कहानी में वृद्धों के अकेलेपन, ऊब से भरे त्रासद जीवन आदि को कथा का विषय बनाया गया है |

खुशकिस्मत

खुशकिस्मत’ कहानी की नायिका नलिनी’ पति की मृत्यु – होने पर स्वयं को दोषी मानते हुए इस कसमकस में जीती है कि पति की मृत्यु उसकी गलती से हुई या कभी कोई गलती हुई ही नहीं थी | नलिनी और उसका पति का खुशहाल परिवार था | दो बेटे, दो बहुएँ थी | बड़ा बेटा सुशांत अमरीका नौकरी करता था और छोटा प्रशांत माँ-बाप के साथ रहता था लेकिन प्रशांत जब पत्नी समेत एक हादसे का शिकार हो जाता है तब नलिनी और नरेन्द्र का जीवन कष्टमय हो जाता है | भाई की मृत्यु के बाद सुशांत अमरीका से लौट पुणे बस जाता है, किन्तु वह भी दो साल तक भाई की मृत्यु से उबर नहीं पाता और अक्सर बीमार ही रहता है | नलिनी अक्सर बेटे के पास जाया करती थी | नरेन्द्र को दिल्ली में अकेले छोड़कर | इस बार नरेन्द्र को भी नलिनी अपने साथ पुणे ले जाती है जहाँ नरेन्द्र घूमने निकले पर सड़क पर गिर बेहोश हो जाता है | किन्तु वे कैसे गिरे, उन्हें याद नहीं था | बहू-बेटे को पिता की कोई फिक्र नहीं थी | बहू अभिलाषा अगले दिन नलिनी को नरेन्द्र समेत यह कह दिल्ली रवाना करती है कि वहाँ के डॉक्टर को बीमारी के बारे में अधिक जानकारी है | नलिनी भी बहू की कटु बातें सुन अपने दिल को कठोर करके दिल्ली लौटती है वहाँ पर पति का इलाज करवाती है, किन्तु दिवाली की देर रात उसके पति की मृत्यु हो जाती है | नलिनी दवा का पत्ता हाथ थामे पति के मृत्यु का कारण स्वयं को मानती है तथा बहू-बेटे के रहते हुए भी अकेली रह जाती है |

जहाँ कमलिनी खिलती है

‘जहाँ कमलिनी खिलती है कहानी दो स्त्रियों के अकेलेपन तथा बेबसी की कहानी है | इस कहानी की पहली औरत के पास दो बीघा बंजर जमीन है जिसमें झाड़ियों तक उगने से इनकार कर दें फिर अनाज की तो बिसात ही क्या | उसी जमीन के एक टुकड़े पर उसका छोटा सा घर बना है जहां वह अक्सर बैठा करती है | कहानी की दूसरी स्त्री बेहद गरीब है | खेत में मजदूरी करके अपना और परिवार वालों का पेट पालती है | एक रोज वह उसी बंजर जमीन के पास आकर बैठती है जहाँ कुछ नहीं उगता था लेकिन इस बार टूट कर बरसे सावन से जमीन की हरीतिमा लौट आयी थी तथा उस बंजर जमीन पर जमे हुए पानी में भी कमलिनी लिख गयी थी जिसे देख दोनों स्त्रियाँ प्रसन्न हो उठती हैं |

वो दूसरी

वो दूसरी कहानी में उस औरत की कहानी बयाँ कि गई है जो अपने पति की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद ब्याह कर लायी गयी है | किन्तु पति या परिवार में उसका कोई स्थान या महत्व नहीं था | परिवार में हमेशा उसे दूसरी के नजरिये से देखा जाता था | किसी को भी उसकी खुशी या दुख की फिकर नहीं थी | गाने-बजाने की शौकीन दूसरी मरे-पूरे परिवार के होते हुए भी अकेली ही रहती है और अपने गाने द्वारा अपना अकेलापन दूर करती है | उसकी जेठानी घर में आयी नई बहू को उसके पास नहीं बैठने देती | उनकी नई बहू उनके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहती है |

वो दूसरी कहानी संग्रह के पात्र

वो दूसरी कहानी संग्रह की कहानियों के पात्र जहाँ कुछ तो वृद्धावस्थ की कठिनाईयों से परेशान, परिवार की उपेक्षा सहकर जीवन व्यतीत करते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ स्वयं के बल पर जीवन जीने की चाह रखते हैं | बेंच पर बूढ़े कहानी का नायक नितीन एक रिटायर्ड वृद्ध है जो अपने बहू-बेटे के साथ रहता है | किन्तु अकेला और परेशान है | ‘खुशकिस्मत’ कहानी की नायिका नलिनी आत्मविश्वासी, कर्मठ तथा स्वतंत्र ख्याल रखने वाली नारी है | बीमार पति की देखभाल स्वयं ही करती है | वह किसी पर बोझ बनकर नहीं जीना चाहती | यही उसके चरित्र की विशेषता है | वो दूसरी कहानी की दूसरी संगीत प्रेमी, कढ़ाई-बुनाई में निपुण स्त्री है | इन कहानियों में पात्रों की समस्याओं और इनका एवं उनके परिवार के मध्य के आपसी सम्बन्धों की स्थिति का पता चलता है | इन कहानियों का परिवेश आधुनिक है | इस प्रकार यह एक सफल कहानी संग्रह है |


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